'विदेश नीति का मकसद वैश्विक क्षमता का इस्तेमाल'
विदेश मंत्री
ने कहा कि पहले और अब की विदेश नीति में बहुत अंतर आया है। उन्होंने कहा,
'इसे समझने के लिए तीन प्रमुख बिंदुओं पर नजर डालनी होगी। पहला यह कि हमने
माना है कि जो हम अपने देश में करते हैं और कूटनीति के स्तर पर जो विदेश
में करते हैं, उसका सीधा-सीधा संबंध है। देश की राष्ट्रीय, आर्थिक और
सामाजिक प्रगति का अंतरराष्ट्रीय कूटनीति से गहरा संबंध है।' हमारी
विदेश नीति का मकसद वैश्विक क्षमता, दुनिया के अलग-अलग देशों की
टेक्नॉलॉजी, दुनियाभर में हो रहे अच्छे काम, वैश्विक संसाधनों को अपने हित
में इस्तेमाल करने का है।
उन्होंने कहा, 'आप देख सकते हैं कि हमारे नेताओं
के लगातार विदेश दौरे हो रहें हैं और विदेशी नेता हमारे यहां आ रहे हैं।
इसमें कई इकनॉमिक, टेक्नॉलजी और प्रॉजेक्ट आधारित फैसले हो रहे हैं।
स्मार्ट सिटी, नदियों की सफाई आदि से जुड़ी पहलों में इन्हें महसूस किया जा
सकता है। कई क्षेत्रों में आपसी सहयोग विदेश नीति का प्रमुख अंग बन गया
है।' विदेश मंत्री ने भारतीय विदेश नीति के पांच बड़े केंद्र गिनाए- नॉर्थ
अमेरिका, यूरोप, नॉर्थ-ईस्ट एशिया, आसियान और खाड़ी देश।
'राष्ट्रीय सुरक्षा विदेश नीति से जुड़ी'
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