भारत की प्रकृति के साथ सद्भावनापूर्व तरीके से रहने की महान परंपरा रही
है। पूरे देश में, राज्यों में और विभिन्न संस्कृतियों में प्रकृति के
विभिन्न पहलुओं को पवित्र माना जाता है। यह परंपरा स्वत: ही इसके संरक्षण
में मदद करती है। एक प्रकार से यह हमारे देश में प्राकृतिक रूप से बना
संरक्षण तंत्र है। हमारी परवरिश ही ऐसी है कि हमें प्रकृति के साथ मिलजुल
कर रहने की सीख मिली हुई है। हमें केवल इन आदर्शो को याद रखने की जरूरत है।
मुझे लगता है कि हम इसमें सफल भी हुए हैं, क्योंकि हाल ही में जारी हुए
आंकड़े दिखाते हैं कि बाघों की संख्या में प्रभावशाली रूप से वृद्धि हुई
है। यह कार्यक्रम भारत के सुंदर और समृद्ध वनस्पति जगत और जीव-जंतुओं को
दुनियाभर में दर्शाने का एक माध्यम रहा। भारत में प्रकृति प्रेमियों के लिए
असंख्य स्थान हैं, ऐसे तमाम स्थान हैं, जो विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों,
विभिन्न प्रकार के वन्यजीवों से समृद्ध हैं।
पिछले पांच सालों में
देश में आने वाले पर्यटकों की संख्या में करीब 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई
है। मुझे पूरा भरोसा है कि बुनियादी ढांचे, कनेक्टिविटी और सुरक्षा को
मजबूत करने के लिए बनाई गईं विभिन्न योजनाओं के साथ हम अतुल्य भारत की
सुंदरता का अनुभव करने के लिए दुनियाभर से और भी ज्यादा पर्यटकों को आते
देखेंगे।
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