नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गणतंत्र दिवस समारोह से पहले, लाल किले के अंदर नेताजी की 122 वीं जयंती पर भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष की गाथा को बखान करने वाले तीन नए संग्रहालयों का उद्घाटन किया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
पहला संग्रहालय नेताजी सुभाष चंद्र बोस और इंडियन नेशनल आर्मी(आईएनए) पर आधारित है। इसमें बोस और आईएनए से संबंधित शिल्पकृतियों को दर्शाया गया है, जिसमें नेताजी द्वारा इस्तेमाल की गई एक लकड़ी की कुर्सी, तलवार, पदक, वर्दी और अन्य सामान को रखा गया है।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक बयान में बताया कि मोदी उसी जगह पर याद-ए-जलियां संग्रहालय (जलियांवाला बाग और प्रथम विश्वयुद्ध पर संग्रहालय) और 1857 (प्रथम स्वतंत्रता संग्राम) पर संग्रहालय और भारतीय कला पर दृश्यकला संग्रहालय भी जाएंगे। बोस और आजाद हिंद फौज पर संग्रहालय में सुभाष चंद्र बोस और आईएनए से संबंधित विभिन्न वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है।
इसमें नेताजी द्वारा इस्तेमाल की गई लकड़ी की कुर्सी और तलवार के अलावा आईएनए से संबंधित पदक, बैज, वर्दी और अन्य वस्तुएं शामिल हैं। अपने उग्र विचारों के चलते खून के बदले आजादी देने का वादा करने वाले सुभाष चंद्र बोस का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा है। 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक में एक संपन्न बांग्ला परिवार में जन्मे सुभाष अपने देश के लिए हर हाल में आजादी चाहते थे।
उन्होंने अपना पूरा जीवन देश के नाम कर दिया और अंतिम सांस तक देश की आजादी के लिए संघर्ष करते रहे। ‘नेताजी’ लड़ मरकर हर कीमत पर मां भारती को आजादी की बेडिय़ों से मुक्त कराने को आतुर उग्र विचारधारा वाले देश के युवा वर्ग का चेहरा माने जाते थे। वह युवा कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे।
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