नई दिल्ली। पेट्रोल-डीजल के सस्ते होने का इंतजार कर रहे लोगों के लिए बुरी खबर है। दुनिया की सबसे बड़ा फाइनेंशियल और रिसर्च कंपनियों में से एक जेपी मॉर्गन ने आशंका जताई है कि भारत में अगले महीने मई में पेट्रोल के दाम 90 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच सकते हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
जेपी मॉर्गन के मुताबिक, सीरिया की हालत और खराब होने से मध्य-पूर्व के देशों में उथल-पुथल बढ़ गई है। सीरिया संकट अभी खत्म होने वाला नहीं है। इसके अलावा, ईरान पर अमेरिका और यूरोपीयन यूनियन के प्रतिबंद्ध से आशंकाएं और गहरा गई हैं। इन हालातों में क्रूड की कीमतें आसमान छू सकती हैं। आशंका जताई गई है कि क्रूड की कीमतें 80 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच सकती हैं। ऐसा होने पर भारत में पेट्रोल की कीमतें 90 रुपए तक जा सकती हैं और डीजल की कीमतें भी काफी बढ़ सकती हैं। इससे महंगाई और बढ़ेगी।
बढ़ जाएगी महंगाई का खतरा...
क्रूड की कीमतें चढऩे से भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम भी बढ़ सकते हैं। जेपी मॉर्गन ने आशंका जताई है कि पेट्रोल के दाम 90 रुपए प्रति लीटर तक जा सकते हैं। ऐसे में महंगाई बढऩे का खतरा और गहरा जाएगा। रोजाना तय होने वाले रेट का बोझ पहले से आम आदमी की जेब पर भारी है। वहीं, सरकार एक्साइज ड्यूटी में कटौती से इनकार कर चुकी है।
सीरिया हमले के बाद से बढ़ी तनातनी...
अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने सीरियाई रसायनिक हमलों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की थी। सीरिया पर हमले के बाद रूस और अमेरिका में तनातनी बढ़ गई है। ऐसे में कुछ जानकार इसे तीसरे विश्व युद्ध की आहट बता रहे हैं। दुनियाभर में इसे लेकर भय का माहौल है। जेपी मॉर्गन के मुताबिक, क्रूड के दाम 80 डॉलर प्रति बैरल के पार जा सकते हैं, जो फिलहाल 71.85 डॉलर प्रति बैरल है। उसके मुताबिक, अमेरिका के सीरिया पर हमले से मध्य-पूर्व में तनाव बढ़ गया है।
90 रुपए पहुंचेगी पेट्रोली की कीमतें...
अमेरिका और यूरोपीय यूनियन ईरान पर फिर से नए प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रहे हैं। इससे क्रूड कीमतों में बड़ा उछाल देखने को मिल सकता है। इसका गंभीर असर भारत पर होगा। मुंबई में पेट्रोल के दाम 82 रुपए तक पहुंच चुके हैं। आशंका है कि अगर क्रूड कीमतें 80 डॉलर पर पहुंचने से भारत में पेट्रोल की कीमतें 90 रुपए प्रति लीटर के स्तर पर पहुंच सकती हैं।
रुपया होगा कमजोर...
भारतीय ऑयल कंपनियां ज्यादातर तेल आयात करती हैं। क्रूड ऑयल की कीमतों का भुगतान भी अमेरिकी डॉलर में होता है। क्रूड के दाम बढऩे से उन्हें डॉलर में भुगतान भी ज्यादा करना होगा। इससे रुपया कमजोर होगा। इससे अन्य चीजों का आयात भी महंगा हो जाएगा। इसका बुरा असर सरकार के फिस्कल डेफिसिट और करेंट अकाउंट डेफिसिट पर होगा।
तेल रिफाइनरी घटाएंगी कीमत!
पेट्रोल-डीजल के दाम को नियंत्रित करने के लिए पेट्रोलियम मंत्रालय, तेल रिफाइनरियों से बढ़ी कीमतों का कुछ हिस्सा वहन करने को कह सकता है। इससे उपभोक्ताओं का बोझ कम होगा। हालांकि, रिफाइनरियों का मुनाफा कम होने से सरकार को भी उससे मिलने वाले राजस्व का नुकसान उठाना पड़ेगा।
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