मंत्रालय ने कहा, चीन द्वारा अपने क्षेत्र में सडक़ निर्माण का उद्देश्य
स्थानीय परिवहन में सुधार लाना है, जो पूरी तरह से वैध और न्यायसंगत है।
चीन ने सडक़ निर्माण में सीमा का उल्लंघन नहीं किया और इस काम में चीन की
अच्छी मंशा से भारत को पहले ही अवगत करा दिया गया था। दस्तावेज में चीन ने
भारत के उन दावों को खारिज कर दिया है जिसमें भारत ने कहा है कि चीन सडक़
निर्माण के जरिए सीमा क्षेत्र की यथा स्थिति को बदलने की कोशिश कर रहा है। ये भी पढ़ें - यहां पकौडे और चटनी के नाम रामायण के किरदारों पर
दस्तावेज
में कहा गया कि भारतीय सैनिकों की चीनी क्षेत्र में घुसपैठ सीमा की
यथास्थिति को बदलने का वास्तविक प्रयास है और इसने चीन-भारत सीमा क्षेत्र
में शांति व सौहार्द को कमजोर किया है। दस्तावेज में चीन ने भारत के इस
तर्क को खारिज कर दिया कि भारत, चीन और भूटान की त्रिसीमा (जहां तीनों
देशों की सीमाएं मिलती हैं) पर सडक़ निर्माण नई दिल्ली की सुरक्षा के लिए
गंभीर खतरा है।
भारत सडक़ को अपनी सुरक्षा के लिए खतरा मानता है,
क्योंकि यह उसके बेहद महत्वपूर्ण सिलीगुड़ी गलियारे के करीब है, जो शेष
भारत को पूर्वोत्तर राज्यों से जोड़ता है। दस्तावेज के अनुसार, तथाकथित
सुरक्षा चिंताओं के आधार पर किसी भी तरह की गतिविधियों के लिए पड़ोसी देश
के क्षेत्र में प्रवेश करना अंतर्राष्ट्रीय कानून के बुनियादी सिद्धांतों
और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के बुनियादी मानकों के खिलाफ है। किसी भी
संप्रभु राष्ट्र द्वारा इस तरह के प्रयास को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
इसलिए भारत व चीन को दो पड़ोसी देशों के तौर पर इस विवाद को सामान्य तरीके
से सुलझाना चाहिए।
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