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पटाखा प्रतिबंध पर, व्यापारियों ने कहा, 'नीति स्पष्ट करे सरकार'

On cracker ban, traders said, Government should clarify policy - India News in Hindi

नई दिल्ली। दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण और कोरोना के मामलों में तेजी से हो रहे इजाफे को देखते हुए पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। दिवाली से कुछ दिन पूर्व लिए गए इस फैसले से पटाखा व्यापारियों के सामने संकट खड़ा हो गया है। दिल्ली के त्रिलोकपुरी में पटाखा व्यापारी दीपक ने आईएएनएस को बताया, "मेरे पास परमानेंट लाइसेंस है और इस बार मैंने करीब 3 लाख रुपये के ग्रीन पटाखे मंगाए थे। अब इन्हें 30 नवंबर के बाद ही बेचा जा सकेगा। इस पटाखे के एक्ट (एक्सप्लोसिव रूल्स 2008) पर एक बार फैसला कर सरकार या तो खत्म कर दें या बने रहने दें। हर साल कुछ दिन पहले पटाखे पर फैसला लेने से हमें भारी नुकसान होता है।"

दरअसल, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में पटाखों पर फैसला लिया गया था। वहीं उन्होंने दिल्लीवासियों से अपील भी की थी कि इस बार दीपावली पर किसी भी तरह के पटाखे नहीं जलाएं और प्रदूषण को नियंत्रित करने में अपना योगदान दें।

दिल्ली फायर वर्क्‍स ट्रेडर्स असोसिएशन के मैंबर राजीव जैन ने आईएएनएस को बताया, "पिछले 5 सालों से मुकदमा चल रहा था। कई इंस्टीट्यूट ने कहा कि ग्रीन पटाखे बना लीजिए, जबकि ग्रीन पटाखों की कोई परिभाषा नहीं है। 2019 में बड़ी मुश्किलों में सिर्फ अनार और फुलझड़ी उपलब्ध हो सकी। उसके बाद व्यापारियों ने राहत की सांस ली।"

उन्होंने कहा, "कमाल देखिए, इस साल दशहरे पर कोई रावण नहीं जलाया गया, फिर भी दिल्ली सरकार को तकलीफ है। दिवाली अभी आई नहीं, पहले से उन्हें तकलीफ बढ़ गई। एक साल पहले ही क्यों मना नहीं कर दिया गया कि इस साल दिवाली नहीं मनेगी, ताकि पटाखे न बनाए जाएं और व्यापारी न पटाखा खरीदे।"

जैन ने कहा, "दिल्ली पुलिस द्वारा 138 लाइसेंस बांटे गए, सभी ने पटाखे खरीद लिए। आखिरी दिनों में आंख क्यों खुलती हैं। सभी जाति वर्ग के लोग पटाखों का व्यापार करते है। हजारों-करोड़ों लोगों को नुकसान हो गया है। जिन आम नागरिकों ने पटाखे खरीद लिए, वे क्या अब अपराधी बन गए हैं?"

उन्होंने कहा, "पटाखे अभी तक जलाए नहीं गए हैं और प्रदूषण पहले ही बढ़ गया है, इसका मतलब कोई और मुख्य कारण है। सड़कों पर धूल उड़ रही हैं, गाड़ियों से प्रदूषण हो रहा है। सरकार अपनी नीतियों को स्पष्ट करें और एक्ट (एक्सप्लोसिव रूल्स 2008) को ही खत्म कर दे।"

जामा मस्जिद के पास करीब 250 साल पुराना पटाखा बाजार है। जहां करीब 9 से 10 पटाखों की दुकानें हैं और यहां कुछ 100 साल पुरानी दुकानें भी हैं। हालांकि यहां पूरे साल पटाखों की दुकानें खुलती हैं।

जामा मस्जिद के पास दुकान चलाने वाले पटाखा व्यापारी अमित जैन ने आईएएनएस को बताया, "पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन पटाखों को लेकर इजाजत दी थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दिल्ली सरकार ने बदल दिया है। ये अब उनसे भी ऊपर हो चुके हैं। पटाखा व्यापारियों को नुकसान तो हुआ है। टेम्पररी लाइसेंस बांटे गए, जिसके बाद सबने माल खरीद लिया। अब दुकानों पर माल रखा हुआ है, जिसे हम बेच नहीं सकते।"

हालांकि इस मुद्दे पर राजनीति भी काफी गरमा गई है। भाजपा नेता विजय गोयल अब दिल्ली सरकार पर पटाखा व्यापारियों को मुआवजा देने का दबाव बना रहे हैं। इसको लेकर उन्होंने जामा मस्जिद इलाके के पटाखा बाजार में दिल्ली सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया। प्रदर्शन के दौरान उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए ये कदम उठाने का ड्रामा किया। व्यापारियों ने माल खरीद लिया है, अब उन्हें नुकसान हो रहा है।

दूसरी ओर, दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने कहा, "यह आश्चर्य की बात है कि दिवाली से ठीक एक हफ्ते पहले मुख्यमंत्री केजरीवाल ने पटाखा फोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया, जिससे पटाखा व्यापारियों को भारी नुकसान हुआ है। जिन पटाखा व्यापारियों ने हाल-फिलहाल में हरे पटाखे का स्टॉक कर लिया है, वे अब भारी नुकसान में हैं। उनके बारे में मुख्यमंत्री ने कुछ नहीं सोचा।"

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के मुताबिक, भारत में पटाखे उद्योग लगभग 10 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं और 80 फीसदी से अधिक पटाखे तमिलनाडु के शिवकाशी में बनाए जाते हैं। वहां लगभग 1100 पटाखा निर्माण उद्योग हैं। भारत में पटाखों का कुल निर्माण लगभग 5000 करोड़ रुपये का है। (आईएएनएस)

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Web Title-On cracker ban, traders said, Government should clarify policy
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