उन्होंने कहा, यह समझने की कोशिश जरूरी है कि इस देश में सभी के लिए समान अवसर के वादे को कैसे पूरा किया जाए। इसके लिए जरूरी है कि हम इसका निरंतर अध्ययन करें कि समाज के हाशिए पर ख़डे लोगों के साथ कैसे और क्यों भेदभाव किया जाता है। केवल तभी बुद्धिजीवी, सामाजिक कार्यकर्ता और नीति निर्माता उत्थान और सशक्तिकरण के लिए भारत की नई सामाजिक न्याय व्यवस्था का आदेश दे सकते हैं। उम्मीद है कि क्वेस्ट फॉर इकि्वटी इस उद्देश्य को पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा। (आईएएनएस)
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