जालंधर। पंजाब सरकार ने प्रदेश में शराब का कोटा कम किया है। सरकार के इस कदम को नशा उन्मूलन की दिशा में उठाया गया कदम बताया जा रहा है, लेकिन प्रबुद्धजन इससे सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि शराब का कोटा कम करके नशा उन्मूलन नहीं किया जा सकता। उनका यह भी मानना है कि प्रदेश सरकार को अपनी मंशा साफ रखनी चाहिए, जैसे बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी का महत्वपूर्ण फैसला करते हुए लाखों लोगों के सामने मिसाल पेश की है, वैसी ही मिसाल पंजाब सरकार को प्रदेश की जनता के सामने पेश करनी होगी।
ज्ञात हो कि पंजाब में सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने 1 अप्रेल से अंग्रेजी शराब का 20 प्रतिशत और देसी शराब का कोटा 14 प्रतिशत कम किया है। कहा जा रहा है कि सरकार के इस कदम से नशा उन्मूलन होगा। रिटेलरों को ज्यादा मुनाफा होगा तो ध्यान तस्करी से भी हटेगा। यहां यह बता दें कि शराब तस्करी रोकने को नशा उन्मूलन का नाम देना गलत होगा।
सरकार के शराब का कोटा कम करने के कदम के पीछे सोच है कि कोटा कम होने से राजस्व की जो हानि होगी, उसकी भरपाई शराब की कीमत 20 से 25 प्रतिशत बढ़ाकर की जाएगी। यहां यह बता दें कि अब से पहले भी कई बार शराब के दाम बढ़े हैं, लेकिन किसी ने शराब पीना छोड़ा नहीं है। कीमत बढ़ाकर राजस्व पूर्ति की जा सकती है, लेकिन नशा उन्मूलन नहीं। प्रदेश में शराबबंदी ही असल में नशा उन्मूलन है।
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