नई दिल्ली। देशभर में बीजेपी की राजनीतिक पकड़ तेजी से मजबूत होती नजर आ रही है। इसके साथ ही बीजेपी का ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ का सपना साकार होता नजर आ रहा है। उत्तर, पश्चिम और पूर्व में हर तरफ बीजेपी की पकड़ मजबूत होती जा रही है। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2019 में सत्ता में वापसी की संभावना पहले से अधिक प्रबल हो गई है। बिहार में जेडीयू के नीतीश कुमार के साथ आ जाने से बीजेपी और उसके सहयोगी दलों का देश की लगभग 70 फीसदी से अधिक आबादी पर शासन हो गया है और एनडीए की छाप तकरीबन देश के सभी हिस्सों तक पहुंच गई। बीजेपी और उसके सहयोगियों की उन 12 राज्यों में से सात में सरकार है जहां से 20 या इससे अधिक लोकसभा सदस्य चुने जाते हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
नीतीश के साथ आने से उत्साहित एक बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने कहा कि इसकी वजह से एनडीए के खिलाफ विपक्षी एकता की कवायद को चोट पहुंची है। साल 2019 में विपक्ष की ओर से कौन चेहरा होगा? अखिलेश यादव, मायावती, ममता बनर्जी, लालू प्रसाद? भ्रष्टाचार और सुशासन पर हमें इनमें से कोई नहीं घेर सकता और नीतीश का मामला अलग था। बीजेपी और उसके सहयोगियों की उन 12 राज्यों में से सात में सरकार है, जहां से 20 या इससे अधिक लोकसभा सदस्य चुने जाते हैं। ऐसे पांच गैर बीजेपी राज्यों में फिलहाल क्षेत्रीय दलों का वर्चस्व है। इसमें तमिलनाडु में एआईएडीएमके और ओडिशा में बीजेडी का भगवा कैंप की तरफ झुकाव अक्सर दिखता रहा है।
बीजेपी के विस्तार के साथ ही पिछले कुछ सालों में कांग्रेस का ग्राफ तेजी से नीचे गिरा है। अब देश की सबसे पुरानी पार्टी के पास सिर्फ कर्नाटक जैसा बड़ा राज्य बचा हुआ है। कर्नाटक में भी अगले साल चुनाव होना है और बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व में बीजेपी यहां भी सत्ता हासिल कर कांग्रेस को बेदखल करने के लिए पूरी मेहनत कर रही है। कामरूप से कच्छ और कश्मीर से कन्याकुमारी तक पैर पसारने के अपने मिशन पर आगे बढ़ते हुए बीजेपी ने पिछले कुछ सालों में कई राज्यों की सत्ता हासिल की। अब नीतीश कुमार के साथ आने से बीजेपी के मिशन को और भी बल मिला।
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