मंत्री ने कहा कि यह सही नहीं है कि दलों के बीच 'कड़े शब्दों' का
आदान-प्रदान हो। उन्होंने कहा कि 'मौजूदा सरकार की नीतियों, कार्यक्र्मो और
प्रदर्शन' को लेकर राजनीतिक लड़ाई होनी चाहिए और भविष्य को लेकर विपक्ष
किस प्रकार का दृष्टिकोण दे सकता है, इस तरह की चर्चा से लोकतंत्र का पूरा
परिदृश्य बदल सकता है।"
गडकरी ने कहा, "पूरी दुनिया भारत में हो रहे
घटनाक्रम को देख रही है। जिस तरह से राजनीतिक पार्टियों के बीच शब्दों का
आदान-प्रदान हो रहा है, इससे देश की खराब छवि बन रही है। यह देश के लिए समय
है कि हम यह सोचें कि कैसे प्रणाली में गुणात्मक सुधार लाया जाए।"
उन्होंने
कहा कि भारतीय लोकतंत्र के चार स्तंभों-न्यायपालिका, कार्यपालिका,
विधायिका और मीडिया को यह देखना चाहिए कि कैसे 'राजनीतिक जीवन में गुणवत्ता
को बढ़ाया जाए और कैसे हम मूल्यवान परिवर्तन कर सकते हैं, जो कि लोकतंत्र
के लिए महत्वपूर्ण हो।' गडकरी ने कहा कि राजनीतिक बहसों में नकारात्मकता
फैलाने में भी मीडिया का अहम योगदान है।
उन्होंने कहा, "हम मेरठ और
दिल्ली के बीच एक बढ़िया एक्सप्रेसवे बना रहे हैं। कोई भी इस बारे में या
अच्छी चीजों को लिखने के लिए तैयार नहीं है। नकारात्मकता और विरोधाभाष को
मीडिया बहुत पसंद करती है। वे हमेशा इसमें फ्लेवर मिलाना चाहते हैं। यह
अच्छा नहीं है।"
(आईएएनएस)
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