पिछले दिनों नितिन गडकरी काफी ऐसे बयान दे चुकें हैं जिनसे लग रहा है कि वे
अपनी ही पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का विरोध कर रहे हों। अपने एक बयान में
गडकरी ने कहा था ‘बीजेपी के कुछ नेताओं को कम बोलना चाहिए। राजनेताओं को
बोलते समय काफी ध्यान रखना चाहिए। उनके इस बयान के चलते बीजेपी को काफी
शर्मिंदगी झेलनी पड़ी थी। इसके बाद उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा
गांधी की तारीफ की थी। जो की बीजेपी के कई नेताओं को पसंद नहीं आई थी।’
साल
2018 के दिसंबर महीने में एक कार्यक्रम में गडकरी ने एक बयान दिया था कहा
था कि अगर मैं पार्टी का अध्यक्ष हूं और मेरे सांसद और विधायक अच्छा नहीं
करते हैं तो कौन जिम्मेदार होगा? इससे पहले नितिन गडकरी ने बीजेपी के अच्छे
दिन के स्लोगन पर भी सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि अच्छे दिन होते ही
नहीं है, यह तो मानने वाले पर निर्भर होता है।
अपने एक बयान में
नितिन गडकरी ने चुनाव में किए गए वादों का जिक्र करते हुए कहा कि सपने
दिखाने वाले नेता लोगों को अच्छे लगते हैं, लेकिन उनके द्वारा दिखाए हुए
सपने अगर पूरे नहीं हुए तो जनता उनकी पिटाई भी करती है। गडकरी ने कहा कि
इसलिए जनता को सपने वही दिखाओ जो पूरे हो सकते हैं, मैं सपने दिखाने वालों
में से नहीं हूं, मैं जो भी बोलता हूं वो 100 फीसदी डंके की चोट पर पूरा
होता है।
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