नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को मुजफ्फरपुर आश्रय गृह दुष्कर्म मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जांच की निगरानी करने का निर्णय लिया है। शीर्ष अदालत ने केंद्रीय एजेंसी को चार हफ्तों के अंदर मामले में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है। इसके साथ ही न्यायालय ने मीडिया को मामले की रिपोर्टिग करते वक्त सावधानी बरतने के लिए कहा है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
न्यायमूर्ति मदन.बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने पटना उच्च न्यायालय के मामले में मीडिया रिपोर्टिग पर प्रतिबंध लगाने के आदेश को निष्प्रभावी बना दिया। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट करते हुए कहा 'पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं हो सकता लेकिन मीडिया को रिपोर्टिग के दौरान सावधान रहना चाहिए।' इससे पहले पटना उच्च न्यायालय इस मामले की निगरानी कर रही था।
सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी दोहराया कि मीडिया पीड़िताओं की तस्वीर को न तो प्रकाशित कर सकता है और न ही टेलीकास्ट कर सकता है, यहां तक कि धुंधले रूप (ब्लर) में भी नहीं। शीर्ष अदालत ने कहा, "मीडिया से इस तरह की घटनाओं को सनसनीखेज नहीं बनाने का आग्रह है।" अदालत ने स्पष्ट किया कि पीड़िताओं का साक्षात्कार नहीं लिया जा सकता और किसी भी प्रकार से उनकी पहचान उजागर नहीं की जा सकती। न्यायालय ने कहा कि यहां तक कि उनके परिजनों की पहचान को भी उजागर नहीं करना चाहिए।
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