नई दिल्ली । बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना चार दिवसीय भारत दौरे पर हैं। उन्होंने मंगलवार को राष्ट्रपति भवन पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। पीएम हसीना और पीएम मोदी द्वारा जारी संयुक्त बयान में दोनों देशों के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंधों की बात की गई और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
दोनों नेताओं ने आतंकवाद, सीमा प्रबंधन, सीमा पार अपराधों के क्षेत्र में घनिष्ठ सुरक्षा सहयोग जारी रखने के महत्व पर जोर दिया।
बांग्लादेश के पीएम ने कहा कि दोनों देश जल्द ही तीस्ता जल बंटवारा संधि सहित सभी लंबित मुद्दों का समाधान करेंगे। हालांकि दोनों देशों के प्रमुखों द्वारा जारी संयुक्त बयान में दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को पड़ोस की कूटनीति का एक मॉडल बताया गया है, लेकिन ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिनसे बांग्लादेश के एक मित्र पड़ोसी होने के बारे में सवाल खड़े हुए हैं।
2001 की बोरैबारी घटना में बांग्लादेशी सैनिकों द्वारा 16 सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों की निर्मम हत्या एक ऐसी घटना थी, जिसने दोनों देशों के बीच संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया था।
सीवोटर-इंडियाट्रैकर ने भारत के सहयोगी और भागीदार के रूप में बांग्लादेश की विश्वसनीयता के बारे में लोगों के विचार जानने के लिए बांग्लादेश के प्रधानमंत्री की यात्रा के मद्देनजर आईएएनएस की ओर से एक राष्ट्रव्यापी जनमत सर्वेक्षण किया।
सर्वेक्षण के दौरान, अधिकांश भारतीयों - 63 प्रतिशत ने कहा कि बांग्लादेश एक भरोसेमंद सहयोगी और भागीदार हो सकता है, मगर 37 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस पर असहमति जताई।
सर्वेक्षण के दौरान, एनडीए और विपक्षी दलों के समर्थक मतदाताओं में से अधिकांश ने कहा कि पूर्वी पड़ोसी देश भारत का एक विश्वसनीय भागीदार हो सकता है। सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार, एनडीए के 60 प्रतिशत और विपक्ष के 66 प्रतिशत मतदाताओं का मानना है कि बांग्लादेश भारत का सच्चा सहयोगी हो सकता है।
इसी तरह की भावना शहरी और ग्रामीण, दोनों मतदाताओं ने साझा की। सर्वेक्षण के दौरान 63 प्रतिशत शहरी उत्तरदाताओं और 66 प्रतिशत ग्रामीण उत्तरदाताओं ने कहा कि बांग्लादेश एक भरोसेमंद पड़ोसी हो सकता है।
--आईएएनएस
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