नई दिल्ली। मोदी सरकार ने सोमवार को भ्रष्टाचार से संबंधित कानून में एक
बडा संशोधन किया है। 50 साल पुराने कानून को बदलते हुए केन्द्र सरकार ने
भ्रष्टाचार के आरोपों को सिद्ध करने के लिए एक समय सीमा का निर्धारण किया
है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
केन्द्र सरकार के नए कानून के मुताबिक अब किसी भी कर्मचारी पर अगर
भ्रष्टाचार का आरोप लगता है तो उसे छह महीने में साबित करना होगा। सरकार ने
ये कदम ऎसे मामलों की जांच में गति लाने के उद्देश्य से किया है। अकसर ऎसे
मामलों में ये देखने में आता है कि ये मामले लंबे समय तक लंबित रहते हैं।
डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग (डीओपीटी) ने केंद्रीय सिविल सेवा
(वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम, 1965 में संशोधन किया है। इसमें जांच
और जांच की कार्रवाई के लिए समय सीमा तय की है। संशोधित कानून के मुताबिक
जांच करने वाली संस्था को जांच पूरी करने और रिपोर्ट दाखिल करने के लिए छह
महीने का समय दिया गया है।
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