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लोकसभा में पारित हुआ RTI अधिनियम संशोधन विधेयक

LS passes Bill amending RTI Act to fix information commissioners tenures - India News in Hindi

नई दिल्ली। मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) और सूचना आयुक्तों के कार्यकाल व वेतन निर्धारित करने की शक्ति केंद्र सरकार को देने संबंधी एक विधेयक सोमवार को विपक्ष की कड़ी आपत्ति के बीच लोकसभा में पारित कर दिया गया।

सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक, 2019 को मत विभाजन के बाद 178 सदस्यों की सहमति के साथ पारित किया गया। कुल 79 सदस्य इसके खिलाफ रहे।

विधेयक सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम, 2005 की धारा 13 और 16 में संशोधन के लिए लाया गया है। धारा-13 में सीआईसी और सूचना आयुक्तों का कार्यकाल पांच वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले हो) निर्धारित किया गया है।

विपक्ष ने तर्क दिया कि विधेयक आरटीआई की स्वतंत्रता छीन लेगा।

19 जुलाई को सदन में पेश किए गए विधेयक को पारित करने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि सीआईसी और आईसी दोनों के लिए वर्तमान कार्यकाल पांच वर्ष है। लेकिन, विधेयक इस प्रावधान को हटाने की बात करता है और केंद्र सरकार को इस पर फैसला लेने की अनुमति देता है।

उन्होंने कहा, ‘‘सीआईसी का वेतन मुख्य चुनाव आयुक्त के समान होता है। मगर विधेयक इसे बदलकर सरकार को वेतन तय करने की अनुमति देने का प्रावधान करता है।’’

बहस की शुरुआत करते हुए कांग्रेस नेता शशि थरूर ने विधेयक पर कड़ी आपत्ति जताई और इसे वापस लेने की मांग की।

विधेयक से आरटीआई ढांचे को कमजोर करने और सीआईसी व सूचना आयुक्तों की स्वतंत्रता को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने तर्क दिया कि इसे किसी भी सार्वजनिक बहस के बिना संसद में लाया गया है। थरूर ने इसे जानबूझकर किया गया परिवर्तन बताया।

थरूर ने कहा, ‘‘क्या आप यह संशोधन इसलिए ला रहे हैं क्योंकि एक सूचना आयुक्त ने पीएमओ से प्रधानमंत्री की शैक्षणिक जानकारी मांग ली थी? हर बिल को बिना जांच किए आगे बढ़ाने में क्या जल्दी है? सरकार संसदीय स्थायी समितियों के गठन में देरी क्यों कर रही है?’’

इसके बाद विधेयक के पक्ष में भाजपा नेता जगदंबिका पाल ने कहा कि यह एक साधारण विधेयक है जो कार्यकाल और वेतन को बदलने की मांग कर रहा है।

उन्होंने कहा कि जैसा विपक्ष कह रहा है वैसी बात नहीं है और आरटीआई की भूमिका को कमजोर नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने आरटीआई को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसमें एक ऑनलाइन पोर्टल स्थापित करने के अलावा जानकारी देने में देरी करने वाले अधिकारियों पर जुर्माना लगाने का प्रावधान शामिल है।

पाल ने कहा, ‘‘सरकार ने पूर्व कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खडग़े को इसके लिए आमंत्रित किया था, भले ही वह विपक्ष के नेता नहीं थे। यह बात दर्शाती है कि सरकार सीआईसी नियुक्त करने में पारदर्शी है।’’

डीएमके नेता ए. राजा ने सरकार के इस तर्क को खारिज कर दिया कि सीआईसी की मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) से बराबरी नहीं की जा सकती क्योंकि सीआईसी एक वैधानिक निकाय जबकि मुख्य चुनाव आयुक्त एक संवैधानिक निकाय के अंतर्गत आते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘आज लोकतंत्र के लिए एक काला दिन है। लोकतंत्र एक सतत प्रक्रिया है और यह चुनाव के साथ समाप्त नहीं होती।’’

तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सौगत रॉय ने कहा कि सरकार सूचना आयुक्तों की शक्तियों को कम करने के लिए संशोधन ला रही है।

एमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने पूछा कि सरकार सूचना आयुक्तों का वेतन तय क्यों करना चाहती है?

(आईएएनएस)

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Web Title-LS passes Bill amending RTI Act to fix information commissioners tenures
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