श्रीनगर। कश्मीरी पंडित कैलेंडर के अनुसार, नए साल के पहले दिन 'नवरेह' मनाने के लिए श्रीनगर के ऐतिहासिक दुर्गनाग मंदिर और माता शारिका देवी मंदिर में शनिवार को कश्मीरी पंडितों ने भव्य प्रार्थना सभा आयोजित की। कश्मीरी पंडितों ने पुराने शहर के बीच हरि पर्वत नामक पहाड़ी पर स्थित माता शारिका देवी मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की। स्थानीय पंडितों के अपनी जन्मभूमि से आकर प्रवास करने के 32 साल बाद शारिका देवी मंदिर में नवरेह पर आयोजित यह पहली ऐसी प्रार्थना सभा की। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उनके पलायन से पहले, स्थानीय पंडित इस मंदिर में नए साल की शुरुआत का जश्न मनाते थे।
समारोह में शामिल हुए लोगों ने कहा कि पिछले कुछ वर्षो में कश्मीर की स्थिति में सुधार हुआ है और आतंकवादी घटनाओं की संख्या में भी कमी आई है।
लोगों ने प्रशासन और सरकार द्वारा उठाए गए सकारात्मक कदमों पर भरोसा जताया और जल्द ही अपने वतन लौटने की उम्मीद जताई।
श्रीनगर के डलगेट इलाके के दुर्गनाग मंदिर में भी भव्य पूजा का आयोजन किया गया, जहां बड़ी संख्या में लोग शांति, समृद्धि और सामान्य तौर पर मानवता और विशेष रूप से कश्मीर के विकास के लिए आयोजित प्रार्थना में शामिल हुए।
दुर्गनाग मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी मुरारजी कौल ने कहा कि शनिवार की नवरेह पूजा का मुख्य उद्देश्य कश्मीर के विभिन्न समुदायों के बीच पारंपरिक सौहार्द को मजबूत करना था।
कौल ने कहा, "विभिन्न राजनीतिक ताकतों ने हमारे इस भाईचारे को भारी नुकसान पहुंचाया है। उनके सबसे बुरे काम के बावजूद मुस्लिम बहुसंख्यक समुदाय और पंडित अल्पसंख्यक समुदाय के बीच का बंधन हमेशा की तरह मजबूत और जीवंत बना हुआ है और अब इस बंधन को और मजबूत करने का उनका एक नया प्रयास है।"
कौल ने कहा, "घाटी में धीरे-धीरे शांति लौट रही है और लोग आने वाली पीढ़ियों के हितों की रक्षा के लिए उत्सुक हैं। इस साल, नवरेह रमजान के पवित्र महीने की शुरुआत के साथ मेल खाता है और यह घाटी की पूरी आबादी के लिए अच्छा है।"
--आईएएनएस
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