नई दिल्ली। ईडी ने सीबीआई द्वारा दर्ज
भ्रष्टाचार के मामले के आधार पर शुक्रवार को पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री
पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम के खिलाफ धनशोधन का एक मामला दर्ज किया।
प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने कहा, हमने धन शोधन रोकथाम
अधिनियम (पीएमएलए) के तहत कार्ति चिदंबरम के खिलाफ एक मामला दर्ज किया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
ईडी
की यह कार्रवाई सीबीआई द्वारा दर्ज की गई उस प्राथमिकी के बाद हुई है,
जिसमें कार्ति चिदंबरम पर आपराधिक साजिश रचने, धोखाधड़ी, भ्रष्ट या अवैध
तरीके से फायदा उठाने, सरकारी अधिकारी को प्रभावित करने तथा आपराधिक आचरण
का आरोप लगाया गया है।
प्राथमिकी में कार्ति पर आरोप लगाया गया है
कि अपने पिता के केंद्रीय वित्तमंत्री रहते उन्होंने आईएनएक्स मीडिया (अब
9एक्स मीडिया) को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी दिलाने
के एवज में 3.5 करोड़ की रकम ली थी।
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम और उनकी
कथित कागजी कंपनियों के खिलाफ चल रही जांच के दौरान प्रवर्तन निदेशालय को
मिले दस्तावेज में कई अहम खुलासे हुए हैं। पता चला है कि कार्ति के नजदीकी
एस भास्कररमन की पत्नी को ऑन रेकॉर्ड अडवांटेज स्ट्रैटिजिक कंसलटिंग
प्राइवेट लिमिटेड (्रस्ष्टक्करु) का प्रमोटर और डायरेक्टर बनाया गया। ऐसा
करने का मकसद उन लोगों की पहचान छिपानी थी, जिनका इस बिजनस पर नियंत्रण था।
दस्तावेज से पता चला है कि कार्ति चिदंबरम एएससीपीएल के इंचार्ज और असली
लाभार्थी थे। आईएनएक्स मीडिया के निवेश को फॉरन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड
की ओर से दी गई मंजूरी के मामले में यही कंपनी सीबीआई जांच के घेरे में
है। प्रवर्तन निदेशालय अब कार्ति चिदंबरम के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच
शुरू करेगा। यह जांच सीबीआई की ओर से दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू की
जाएगी।
निदेशालय की ओर से फॉरन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (फेमा) के तहत
की जा रही जांच की रिपोर्ट में पता चला है कि ऑन रिकॉर्ड सिर्फ पद्मा
भास्कर ही कंपनी की इकलौती प्रमोटर और डायरेक्टर हैं। उनके पेशे के तौर पर
दस्तावेज में ‘स्कूल टीचर’ दर्ज है। उनके भाई रवि को भी एएससीपीएल का
प्रमोटर दिखाया गया है ताकि कार्ति की पहचान छिपाई जा सके।
वासन
हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड के सीएमडी एएम अरुण की पत्नी मीरा अरुण ने इस
साल दर्ज कराए बयान में कहा था कि भले ही वह कंपनी में शेयरहोल्डर हैं, पर
पूरा बिजनस उनके पति ही देखते हैं। एएम अरुण ने जांचकर्ताओं से कहा था कि
वह अपने आई केयर सेंटर से जुड़े बिजनस को बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे
थे, इसलिए उन्हें फॉरन फंडिंग की जरूरत थी। अरुण ने कार्ति को ‘फैमिली
फ्रेंड’ और ‘शुभचिंतक’ बताया था। अरुण ने बताया कि कार्ति ने उन्हें
इन्वेस्टमेंट कंसलटेंसी कंपनी मेसर्स स्पार्क कैपिटल एडवाइजर्स की सिफारिश
की थी। वहीं, मीरा अरुण ने माना था कि वह वासन हेल्थ केयर में डमी
डायरेक्टर थीं और उनके शेयर उनके पिता वी द्वारकानाथन को ट्रांसफर कर दिए
गए। मीरा ने बताया था, इसके बाद पिता ने शेयरों को उस कंपनी (एएससीपीएल) को
ट्रांसफर कर दिया, जो कार्ति चिदंबरम से जुड़ी हुई थी। द्वारकानाथन के 15
हजार शेयर कार्ति की कंपनी को 100 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से बेच दिए
गए।
द्वारकानाथन ने जांचकर्ताओं को बताया कि बेटी के शेयर उन्हें
ट्रांसफर किए जाने की उन्हें जानकारी नहीं थी। इसके अलावा, यह भी पता नहीं
था कि वे शेयर कार्ति की कंपनी को ट्रांसफर किए जा रहे हैं। ईडी ने अपनी
जांच में यह भी पाया कि एएससीपीएल के सभी डायरेक्टर सीबीएन रेड्डी, रवि
विश्वनाथन और एस भास्कररमन, सभी ने कथित तौर पर कार्ति के निर्देशों पर काम
किया। इसके अलावा, भास्कररमन वह शख्स थे, जिन्होंने कंपनी से जुड़ी दैनिक
गतिविधियों में कार्ति के निर्देशों के मुताबिक काम किया।
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