स्पीकर रमेश कुमार ने 14 और विधायकों आनंद सिंह (कांग्रेस), प्रताप गौड़ा
पाटिल (कांग्रेस), बीसी पाटिल (कांग्रेस), शिवराम हेब्बार (कांग्रेस), एस
टी सोमशेखर (कांग्रेस), बायरती बसवराज (कांग्रेस), रोशन बैग (कांग्रेस),
मुनीरतना (कांग्रेस), के सुधाकर (कांग्रेस), एमटीबी नागराज (कांग्रेस),
श्रीमंत पाटिल (कांग्रेस) और ए एच विश्वनाथ (जेडीएस), नारायण गौड़ा
(जेडीएस), के गोपलाईया (जेडीएस) को अयोग्य घोषित किया था।
अयोग्य
करार दिए गए बागी विधायकों ने व्यक्तिगत रूप से कहा कि वे अपनी पार्टी और
बीजेपी, दोनों से ही ठगे गए। बीजेपी ने उन्हें कैबिनेट मंत्री के पद देने
का सपना दिखाया था, लेकिन उनके साथ सबसे बड़ा खेल स्पीकर ने किया और उन्हें
अयोग्य घोषित कर दिया। लिहाजा, उन्हें विधानसभा की सदस्यता से ही हाथ धोना
पड़ा। यही नहीं वह 2023 तक कोई उपचुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे।
स्पीकर
के फैसले को कांग्रेस-जेडीएस के बागियों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने
का फैसला किया है। जेडीएस नेता और बागी विधायक एएच विश्वनाथ ने कहा कि
फैसला ‘कानून के विरुद्ध’ है और वह अन्य असंतुष्ट विधायक के साथ सोमवार को
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे। विश्वनाथ ने कहा, 'अयोग्यता विधि
विरुद्ध है। मात्र उन्हें जारी व्हिप के आधार पर आप विधायकों को सदन में
आने के लिए बाध्य नहीं कर सकते।
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