नई दिल्ली। आईएनएस मीडिया केस (INX Media Case) में तिहाड़ जेल (Tihar jail) में बंद देश के पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम (P Chidambaram) से मिलने पार्टी की कई नेता जेल पहुंचे। लेकिन उन्हें मिलने की अनुमति नहीं दी गई। जानकारी के अनुसार शुक्रवार को कांग्रेस नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल तिहाड़ जेल (Tihar jail) पहुंचा जिनमे मुकुल वासनिक, पीसी चाको, मनिक्कम टैगोर, अविनाश पांडे और अन्य नेता का समावेश था। निर्धारित समय खत्म होने के कारण इन नेताओं की मुलाकात चिदंबरम (P Chidambaram) से नहीं हो पायी। इसके साथ कांग्रेस नेताओं (Congress Leaders) से जेल अधीक्षक से मुलाकात कर पूर्व वित्त मंत्री (P Chidambaram) का हालचाल जाना। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
कपिल सिब्बल बोले, कहा-हमारी मौलिक स्वतंत्रता की रक्षा कौन करेगा...
चिदंबरम को जेल भेजने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि इस तरह हमारे मौलिक अधिकार की रक्षा कौन करेगा। कपिल सिब्बल ने ट्वीट किया, 'हमारी मौलिक स्वतंत्रता की रक्षा कौन करेगा? सरकार? सीबीआई? ईडी? या आयकर अधिकारी? अथवा अदालतें? अगर अदालतें मान लेंगी कि ईडी और सीबीआई सही बोल रही हैं तो एक दिन भगवती से वेंकटाचलिया युग में निर्मित स्वतंत्रता के स्तंभ ढह जाएंगे। वह दिन दूर नहीं है।'
दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए चिदंबरम....
बता दें कि 73 साल के चिदंबरम की दो दिनों की सीबीआई हिरासत खत्म होने के बाद गुरुवार को उन्हें दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट के सामने पेश किया गया था। चिदंबरम को 21 अगस्त की रात गिरफ्तार किए जाने के बाद पांच चरणों में 15 दिनों की उनकी सीबीआई हिरासत गुरुवार को खत्म हुई, जिसके बाद उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया गया।
14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजे गए चिदंबरम...
चिदंबरम को एक अदालत ने आईएनएक्स मीडिया मामले में गुरुवार को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने पिछले महीने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता को गिरफ्तार कर उनसे पूछताछ की थी।
क्या है मामला...
चिदंबरम के वित्त मंत्री रहने के दौरान 2007 में आईएनएक्स मीडिया समूह को एफआईपीबी की मंजूरी दिलाने में बरती गई कथित अनियमितताओं को लेकर सीबीआई ने 15 मई 2017 को एफआईआर दर्ज की थी। यह मंजूरी 305 करोड़ रुपये का विदेशी धन प्राप्त करने के लिए दी गई थी। इसके बाद, ईडी ने भी 2017 में इस सिलसिले में मनी लॉन्ड्रिंग का एक मामला दर्ज किया था।
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