नई दिल्ली। आतंकवाद के खिलाफ पहली बार भारत और पाकिस्तान एक सैन्य अभ्यास में एकजुट होने वाले है। दोनों देश इसी साल सितंबर माह के दौरान रूस में होने वाले बहु- राष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में हिस्सा लेंगे। सैन्य अभ्यास को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की रुपरेखा के तहत किया जाएगा जिसमें चीन सहित कई और देश भी भाग लेंगे। इस बहु-राष्ट्रीय सैन्य अभ्यास का उद्देश्य आतंकी गतिविधियों पर नकेल कसना है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
चीन के प्रभुत्व वाले इस सुरक्षा समूह को नाटो की बराबरी कर सकने वाली संस्था के रूप में हमेशा से ही देखा जाता रहा है। अधिकारियों के मुताबाकि, ये सैन्य ड्रिल रूस के उरल पहाड़ों पर आयोजित किया जाएगा और लगभग सभी एससीओ सदस्य वाले देश इसका हिस्सा होंगे। इस अभ्यास के मुख्य उद्देश्य आठ एससीओ सदस्यों वाले देश के बीच शांति मिशन स्थापित करना है। साथ ही आतंकवाद विरोधी पहल को मजबूत करना होगा। भारत इस अभ्यास का हिस्सा होगा इसकी पुष्टि निर्माला सीतारमण ने एससीओ रक्षामंत्रियों की बैठक के दौरान की थी। ये बैठक पिछले हफ्ते बीजिंग में हुई थी।
स्वतंत्रता के बाद ये पहली बार होगा, जब भारत-पाकिस्तान दोनों एकसाथ सैन्य अभ्यास का हिस्सा होंगे। हालांकि दोनों देशों की सेनाओं ने संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में एक साथ काम किया है। शंघाई कॉरपोरेशन ऑर्गेनाइजेशन की स्थापना 2001 में शंघाई में रूस, चीन, कजाखिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों द्वारा हुई थी।
भारत और पाकिस्तान पिछले साल ही इस संस्था के पूर्ण सदस्य बने हैं, इससे पहले 2005 में इन दोनों देशों को इस समूह में पर्यवेक्षक सदस्य के तौर पर शामिल किया गया था।
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