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भारत और चीन के बीच गतिरोध खतरनाक मोड़ पर

प्रधानमंत्रीनरेंद्र मोदी ने पिछले महीने रूस की यात्रा के दौरान बेहद गर्व से कहा था कि बीते 40 वर्षों के दौरन भारत तथा चीन के बीच सीमा पर एक भी गोली नहीं चली है।

सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनेशनल इकॉनॉमिक फोरम में एक पैनल चर्चा के दौरान मोदी ने कहा था, ‘‘यह कटु सत्य है कि चीन के साथ हमारा सीमा विवाद है। लेकिन बीते 40 वर्षों के दौरान सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों के बीच एक भी गोली नहीं चली।’’ मोदी ने यह बात एक-दूसरे से संबंद्ध तथा एक-दूसरे पर निर्भर दुनिया के संदर्भ में कही थी। उन्होंने कहा था कि देशों के बीच कुछ विवाद हो सकते हैं, लेकिन यह विवाद सहयोग के क्षेत्रों में आगे बढऩे की राह में नहीं आना चाहिए, जैसा भारत व चीन करता रहा है।

दिसंबर 1996 में चीन के तत्कालीन राष्ट्रपति तथा कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के महासचिव जियांग जेमिन ने भारतदौरे के बाद पाकिस्तान का दौरा किया और उन्होंने पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के समक्ष एक बेहद महत्वपूर्ण बयान दिया था। जियांग ने पाकिस्तानी सांसदों को नई दिल्ली के साथ संबंधों के निर्वहन में भारत-चीन के रुख को अपनाने और दूसरे मोर्चों खासकर व्यापार व दोनों देशों के लोगों के संबंधों के विकास में विवादास्पद मुद्दों को न लाने की सलाह दी थी।

जियांग ने कहा, ‘‘अगर कुछ खास मुद्दों को कुछ समय के लिए नहीं सुलझाया जा सकता है, तो उन्हें किनारे किया जा सकता है, ताकि उनका प्रभाव देशों के सामान्य संबंधों पर नहीं पड़े।’’

पाकिस्तान ने जियांग की सलाह को तवज्जो नहीं दी, लेकिन श्रृंखलाबद्ध समझौतों के माध्यम से सीमा पर शांति व सौहार्द्र बरकरार रखते हुए चीन तथा भारत आपस में शांति बरकरार रखने में कामयाब हुए, जबकि दोनों के बीच 4,000 किलोमीटर से अधिक लंबी सीमा पर विवाद है। भारतीय अधिकारी प्राय: इसे ‘व्यवस्थित रिश्ता’ करार देते हैं, जहां सीमा विवाद तथा तिब्बत या अरुणाचल प्रदेश पर मतभेदों को लंबे दौर की बातचीत के लिए छोड़ दिया गया है, जबकि दोनों पड़ोसियों ने अपने व्यापार व आर्थिक संबंधों को एक नई ऊंचाई तक पहुंचाया, जिन्होंने उन्हें एक-दूसरे की विकास गाथा का अहम तत्व बना दिया है।

लेकिन जिन मुद्दों को वे अपनी रणनीति तथा मौलिक सिद्धांतों के लिए अहम मानते हैं, उसे लेकर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बढ़ती निष्ठुरता और चीनी अधिकारियों का शक्ति प्रदर्शन एक-दूसरे से मेल खाता है, चाहे वह दक्षिण चीन सागर, तिब्बत या बेल्ट एंड रोड परियोजना हो, जिसके बारे में माना जाता है कि यह चीन की भूमिका को वैश्विक व्यापारिक शक्ति के रूप में बदलकर रख देगा।

शी पार्टी के सभी अंगों, सरकार तथा सेना पर पूर्ण नियंत्रण की बदौलत हाल के वर्षों में चीन के सबसे बड़े नेता बनकर उभरे हैं।

चीन का मानना है कि अब समय आ गया है और वह जो कुछ भी करता है, वह ‘चीनी स्वप्न’ के अनुरूप होगा, जिससे वह दुनिया के उत्कृष्ट आर्थिक, सैन्य और राजनैतिक शक्तियों में से एक हो जाएगा, जिसे शी की भाषा में कहें, तो यह ‘चीनी राष्ट्र का महान कायाकल्प है।’

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Web Title-India and China on strike at a dangerous turn
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