वहीं बिहार के कुछ स्थानों पर होली को रात में जलाने की परंपरा है। लोग
होलिका दहन के समय लकडिय़ों से बनाई गई होली के आस-पास इकठ्ठा होते हैं और
उसमें आग लगाकर गेहूं व चने की बालें भूनकर खाते हैं। कुछ जगहों पर युवक
अपने-अपने गांव की सीमा के बाहर मशाल जलाकर रास्ता रोशन करते हैं। मान्यता
है कि ऐसा करने से वे अपने गांव से दुर्भाग्य और संकटों को दूर भगाते हैं। ये भी पढ़ें - लकवे के मरीज यहां से जाते है ठीक होके
इसके अलावा पश्चिम बंगाल में होली को डोलीजागा नाम से मनाया जाता है और यह
कार्यक्रम तीन दिन तक चलता है। प्रदेश में भगवान श्रीकृष्ण के मंदिरों के
समीप कागज, कपड़े और बांस से मनुष्य की प्रतिमाएं बनाई जाती हैं और शाम के
वक्त प्रतिमाओं के समक्ष वैदिक रीति से यज्ञ किए जाते हैं और बाद में
प्रतिमाएं जला दी जाती हैं। उसके बाद लोग यज्ञ कुंड की सात बार परिक्रमा
करते हैं।
ठीक इसके अगले दिन सुबह भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा को एक झूले
पर सजाया जाता है। इस दौरान वहां मौजूद लोग भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा पर
रंग उड़ाते हैं। इसके बाद दिनभर लोग रंगों से आपस में होली खेलते हैं। साथ
ही उत्तर भारत के पंजाब और हरियाणा में भी होली को खूब धूमधाम से मनाया
गया। लोग रंग और गुलाल से होली खेलकर एक-दूसरे से गले मिले।
बिहार : महागठबंधन में कई सीटों को लेकर नहीं बन रही बात
घोषणापत्र को मंजूरी देने के लिए कांग्रेस कार्य समिति की बैठक,हो सकती है उम्मीदवारों की घोषणा
एल्विश यादव की जमानत की अर्जी लगाने में जुटे वकील
Daily Horoscope