जयपुर। रंगों के त्योहार होली के अवसर पर ब्रह्मपुरी स्थित छोटा अखाड़ा वीर हनुमान मंदिर में वीणापाणि कला मंदिर की ओर से तमाशा ‘रांझा-हीर’ खेला गया। तमाशा लोक नाट्य परंपरा के जनक बंशीधर भट्ट द्वारा लिखित रांझा-हीर तमाशा पं. वासुदेव भट्ट के निर्देशन में खेला गया। [ अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
इस संगीतमय लोक नाट्य के दौरान तख्त हजारा के बादशाह रांझा को अपने सपने में हीर परी दिखाई देती है और रांझा उसे चाहने लगता है। वो हीर परी की तलाश में निकल पड़ता है। 12 माह भटकने के बाद उसे हीर के दीदार होते हैं, जो उसे कहती है कि जैसा प्रेम मुझसे किया वैसा खुदा से करो, रांझा कहता है कि उसने तो हीर में ही खुदा देखा है। अंत में हीर रांझा की पाक मोहब्बत को स्वीकार करती है।
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