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मार्च में गर्मी की लहरें - घटना दुर्लभ नहीं, बल्कि हद तक गंभीर

Heat waves in March - phenomenon not rare, but severe to an extent - India News in Hindi

नई दिल्ली । यूं तो मार्च में गर्मी की लहरें बहुत दुर्लभ घटना नहीं होती हैं, ये आम तौर पर भारत के मध्य भागों तक ही सीमित होती हैं, मगर खास बात यह इस वर्ष इसे उत्तर-पश्चिम भारत में हिमालय की तलहटी तक अनुभव किया गया। पश्चिम-मध्य और उत्तर-पश्चिम भारत के कई हिस्सों में सामान्य से अधिक तापमान कई दिनों तक बना रहा, जिसके कारण मार्च में दो गर्मी की लहरें उठीं- पहली 11 से 21 मार्च तक और दूसरी 26 मार्च से शुरू हुई और अभी भी जारी है। गर्मी की लहरों की अधिकतम आवृत्ति मई के महीने में और मानसून की शुरुआत से ठीक पहले यानी जून की शुरुआत में होती है। लेकिन डेटा से पता चलता है कि मार्च में भी गर्मी की लहरें आती हैं। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा, "आमतौर पर देश के मध्य भाग - गुजरात, तेलंगाना, दक्षिणी महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश के दक्षिणी हिस्सों, छत्तीसगढ़ में मार्च में गर्मी की लहरें आती हैं। लेकिन इस बार हमने दक्षिणी जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे क्षेत्रों में भी गंभीर स्थिति देखी। यहां तक कि जब कई जगहों पर लू की स्थिति नहीं थी, तब भी तापमान सामान्य से काफी अधिक था।"
महापात्रा ने कहा, "मध्य और उत्तर पश्चिम भारत के कई क्षेत्रों में सामान्य से अधिक अधिकतम तापमान का सही अनुमान लगाया गया था और दक्षिण प्रायद्वीप के कई हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से नीचे रहने की भविष्यवाणी भी सही निकली। हालांकि, उत्तर और पूर्वोत्तर भारत में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रहने की भविष्यवाणी सही नहीं निकली।"
घटना के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि निचले और मध्य क्षोभमंडल पर उच्च दबाव वाली कोशिकाओं की भूमिका जो हवा को नीचे की ओर ले जाने में मदद करती है, गर्मी की लहरों को जन्म देती है।
महापात्र ने कहा, "हरियाणा और दिल्ली सहित दक्षिण पाकिस्तान से दक्षिण गुजरात की ओर उत्तर पश्चिम भारत की ओर हवाएं चल रही थीं, इसलिए इस क्षेत्र से उत्तरी भागों में गर्मी आई और इससे हिमालय की तलहटी के तापमान में वृद्धि हुई, हरियाणा व दिल्ली में भी। देश में बारिश की गतिविधि काफी कम रही और इस बार कोई पश्चिमी विक्षोभ नहीं था, जिसके परिणामस्वरूप ठंडी हवाएं नहीं आ सकीं और दक्षिण गुजरात, दक्षिण पाकिस्तान से उत्तरी भागों की ओर दक्षिण की हवाएं चल रही थीं।"
आईएमडी के आंकड़ों से पता चलता है कि 'काफी कम वर्षा गतिविधि' की मात्रा बताते हुए पूरे देश में शून्य से 72 प्रतिशत वर्षा की कमी दर्ज की गई।
उत्तर-पश्चिम भारत में शून्य से 89 प्रतिशत प्रस्थान, पूर्व और पूर्वोत्तर भारत में शून्य से 59 प्रतिशत प्रस्थान, मध्य भारत में शून्य से 86 प्रतिशत प्रस्थान, जबकि दक्षिण प्रायद्वीप में शून्य से 13 प्रतिशत प्रस्थान आंका गया।
--आईएएनएस

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Web Title-Heat waves in March - phenomenon not rare, but severe to an extent
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