• Aapki Saheli
  • Astro Sathi
  • Business Khaskhabar
  • ifairer
  • iautoindia
1 of 1

क्या वास्तव में ट्विटर ने भारत में अपना कानूनी कवच खो दिया है?

Has Twitter really lost its legal shield in India? - India News in Hindi

नई दिल्ली । सूचना एंव प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद द्वारा एक बार फिर ट्विटर की आलोचना किए जाने के बाद, प्रमुख विशेषज्ञों ने बुधवार को इस बात पर बहस शुरू कर दी है कि क्या माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ने वास्तव में अपना कानूनी कवचन खो दिया है।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 केवल कागजी कार्रवाई न बनकर रह जाए, बल्कि प्रभावी ढंग से लागू हों।

हालांकि, सवाल यह है कि क्या देश ट्विटर जैसी सोशल मीडिया कंपनियों के खिलाफ उसके निदेशरें का पालन करने में विफल रहने के लिए कड़ी कार्रवाई को जमीनी स्तर पर लागू कर सकता है?

आईटी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश) नियम 2021 के नियम 7 के आधार पर, किसी भी महत्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यस्थ सहित कोई भी मध्यस्थ आईटी नियमों का पालन नहीं करता है, तो वे स्वचालित रूप से कानूनी दायित्व से अपनी वैधानिक छूट खो देते हैं।

प्रमुख साइबर विशेषज्ञ पवन दुग्गल ने आईएएनएस को बताया, इसके अलावा, वे सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 और भारतीय दंड संहिता, 1860 के तहत विभिन्न अपराधों के लिए दंडित होने के लिए उत्तरदायी हो जाते हैं। इस मामले में ट्विटर ने आईटी नियमों 2021 का पालन न करके 25 फरवरी से 90 दिनों की समाप्ति के बाद अपनी वैधानिक प्रतिरक्षा खो दी है।

उनके अनुसार, ट्विटर के पास अब सुरक्षा कवच या कानूनी दायित्व से वैधानिक छूट नहीं है।

दुग्गल ने कहा, इसका प्रभावी रूप से मतलब है कि वे देश भर में दीवानी और आपराधिक कार्यों में मुकदमा चलाने के लिए उत्तरदायी हैं और वे तीसरे पक्ष के डेटा या उनके द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के लिए उनमें से प्रत्येक का बचाव करने के लिए उत्तरदायी हैं।

हालांकि, गैर-लाभकारी इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन के अनुसार, मध्यस्थ स्थिति एक रजिस्ट्रेशन नहीं है, जो सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है।

फाउंडेशन ने ट्वीट्स की एक श्रृंखला में कहा, वर्तमान चिंताएं आईटी नियमों के नियम 7 से उत्पन्न होती हैं, लेकिन नियम 7 केवल यह कहता है कि आईटी अधिनियम की धारा 79 के प्रावधान उन बिचौलियों पर लागू नहीं होंगे, जो आईटी नियमों का पालन करने में विफल रहते हैं।

ट्वीट में कहा गया है, नए आईटी नियम, कई डिजिटल अधिकार संगठनों के अनुसार, असंवैधानिक हैं। वास्तव में, उन्हें कई राज्य हाईकोर्ट्स (जैसे टी. एम. कृष्णा, एक प्रमुख कर्नाटक संगीत गायक और मद्रास हाईकोर्ट में सांस्कृतिक आलोचक) द्वारा चुनौती दी गई है।

आरएसएस के पूर्व विचारक के. एन. गोविंदाचार्य, जो दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष सोशल मीडिया नामित अधिकारियों के मामले पर बहस कर रहे हैं, उनके वकील विराग गुप्ता के मुताबिक, नए आईटी रूल्स के तीन पहलू हैं।

गुप्ता ने आईएएनएस को बताया, हालांकि शिकायत अधिकारी को लेकर केवल एक ही पहलू पर बहस हुई है। फेसबुक, गूगल, व्हाट्सएप और ट्विटर सहित अन्य तकनीकी दिग्गजों ने अभी तक नोडल अधिकारी और अनुपालन अधिकारी से संबंधित नियमों का पूरी तरह से पालन नहीं किया है।

गुप्ता ने तर्क दिया कि संविधान का अनुच्छेद 14 समानता को अनिवार्य करता है, लेकिन सरकार ट्विटर को ही सिग्नल दिखा रही है और अन्य सोशल मीडिया कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही है जो कानून का अनुपालन नहीं करती हैं।

आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद के अनुसार, ट्विटर को इसका अनुपालन करने के लिए कई अवसर दिए गए थे, लेकिन उसने गैर-अनुपालन का रास्ता जानबूझकर चुना है।

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्वीट्स की एक सीरीज में कहा कि भारत की संस्कृति अपने बड़े भौगोलिक स्थिति की तरह बदलती रहती है। सोशल मीडिया में एक छोटी सी चिंगारी भी बड़ी आग का कारण बन सकती है। खासकर फेक न्यूज के खतरे ज्यादा हैं। इस पर कंट्रोल करना और इसे रोकना नए आईटी नियमों में एक महत्वपूर्ण नियम था, जिसका पालन ट्विटर ने नहीं किया।

रविशंकर प्रसाद ने कहा, यह आश्चर्यजनक है कि ट्विटर जो खुद को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पैरोकार के रूप में चित्रित करता है और कानून के अमल की बात करता है, उसने ही आईटी के नियमों की अनदेखी की।

प्रसाद ने ट्वीट करते हुए कहा कि चौंकाने वाली बात यह है कि ट्विटर देश के कानून की अनिवार्य प्रक्रिया को स्थापित करने से इनकार करके यूजर्स की शिकायतों को दूर करने में भी नाकाम रहा है। ट्विटर तभी फ्लैग करने की नीति चुनता है, जो वह उसके उपयुक्त हो या उसकी पसंद और नापसंद के मुताबिक चीजें हों।

हालांकि ट्विटर ने अभी तक आईटी मंत्री के नवीनतम ट्वीट्स पर प्रतिक्रिया नहीं दी है।

विशेषज्ञों ने तर्क दिया कि यदि वे अपने प्लेटफॉर्म पर नकली समाचार/गलत सूचना के खतरे से लड़ने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाते हैं तो फिर भारत को सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा सामना किए जाने वाले परिणामों को निर्धारित करने वाले प्रभावी कानूनी प्रावधानों के साथ सामने आने की जरूरत है।

सरकार के पास अब तीसरे पक्ष के डेटा और सूचना के लिए ट्विटर के खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू करने का विकल्प है।

दुग्गल ने कहा, इसके अलावा, सभी प्रभावित व्यक्ति जो सेवा प्रदाता की निष्क्रियता से प्रभावित हुए हैं, कानूनी कार्रवाई और आपराधिक दायित्व दोनों के लिए सेवा प्रदाता पर मुकदमा कर सकते हैं।

विशेषज्ञों का साफतौर पर कहना है कि चूंकि ट्विटर, एक सेवा प्रदाता के रूप में नए आईटी नियमों का पालन नहीं करता है, तो सरकार उन्हें भारतीय संदर्भ में एक सहज तरीके से अपनी सेवा प्रदान करने से रोकने के लिए कार्रवाई शुरू कर सकती है। (आईएएनएस)

ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे

यह भी पढ़े

Web Title-Has Twitter really lost its legal shield in India?
खास खबर Hindi News के अपडेट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक और ट्विटर पर फॉलो करे!
(News in Hindi खास खबर पर)
Tags: twitter, india, ravi shankar prasad, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, real time news
Khaskhabar.com Facebook Page:

प्रमुख खबरे

आपका राज्य

Traffic

जीवन मंत्र

Daily Horoscope

Copyright © 2024 Khaskhabar.com Group, All Rights Reserved