गौरतलब है कि जीडीपी के ताजा आंकडों के साथ मोदी ने पिछले सप्ताह
अर्थशास्त्रियों और अपने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर परोक्ष तंज कसा
था, जिन्होंने कहा था कि केंद्र के नोटबंदी के फैसले के चलते कम संवृद्धि
दर रहेगी। उन्होंने कहा था, बडे विद्वान, कुछ हार्वर्ड से, कुछ ऑक्सफोर्ड
से...कुछ ने कहा है कि जीडीपी में दो फीसदी की गिरावट (नोटबंदी के बाद)
आएगी जबकि अन्य ने चार फीसदी की गिरावट की बात कही, लेकिन देश ने देख लिया
कि हार्वर्ड के लोग क्या सोचते हैं और कडी मेहनत करने वाले लोग क्या सोचते
हैं।
अपने पत्र में कंवल ने कहा है कि भारत जैसे विविधता वाले देश
के विकास के लिए आपको उन लोगों की मदद की जरूरत है जो अलग दृष्टिकोण पेश
करते हैं। अर्थशास्त्रियों और विश्वसनीय अकादमिक संस्थानों का मजाक उडाने
से हम दुनिया में सिर्फ अलग-थलग ही पड़ेंगे। खुद को कडी मेहनत करने वाला एक
राष्ट्रवादी बताते हुए छात्र ने कहा कि हम साक्ष्य के आधार पर सीखने की
प्रवृत्ति में प्रशिक्षित हैं जो नीतियों को बनाने और प्रभावी रूप से लागू
करने में मदद करता है ताकि नोटबंदी जैसी आपदाओं से निपटा जा सके। कंवल ने
यह दावा भी किया कि हार्वर्ड के पूर्व छात्र मोदी कैबिनेट में और पीएमओ में
अहम पदों पर हैं।
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