शिमला। सोलन जिले के कंडाघाट के समीप साधूपुल में योगगुरू बाबा रामदेव की विवादित जमीन का मामला बुधवार को प्रश्नकाल के दौरान विधानसभा में उठा। सतापक्ष के विधायक अनिरूद्व सिंह के सवाल पर राजस्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने बताया कि पतंजलि योगपीठ को लीज की जमीन वापिस लौटाने पर सरकार ने अभी अंतिम फैसला नहीं लिया हैं तथा मामला विचाराधीन है। उन्होंने कहा कि पंतजलि योगपीठ ने अदालत में सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं तथा जब तक वो सरकार के खिलाफ आरोपों को वापस नहीं लेते हैं, सरकार कोई कार्रवाई नहीं करेंगी। उन्होंने कहा कि इस मामले को केबिनेट में ले जाया गया तथा वहां ये फैसला लिया गया कि अगर बाबा रामदेव याचिका वापस लेते हैं तो रिप्रेजेंटेशन पर विचार किया जाएगा। कौल सिंह ने जानकारी दी कि पूर्व भाजपा सरकार के समय साधूपुल में पतंजलि योग पीठ को 96 बीघा जमीन लीज पर दी गई थी। लेकिन वर्तमान सरकार ने 19 फरवरी 2013 को लीज रद्द करने का निर्णय लिया।
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नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल और भाजपा के राजीव बिंदल द्वारा पूछे गए अनुपूरक सवालों के जवाब में राजस्व मंत्री ने बताया कि भाजपा शासन में पतंजलि योगपीठ को जमीन देने में अनियमितताएं हुई थीं तथा धूमल सरकार ने जल्दबाजी में यह फैसला लिया था। कौल सिंह ने कहा कि पतंजलि योगपीठ की तरफ से आचार्य बालकृष्ण ने किसी और व्यक्ति को पॉवर ऑफ अटार्नी दे दी जबकि बालकृष्ण को खुद साइन करने थे तथा नियमों के तहत वह किसी अन्य व्यक्ति को पॉवर ऑफ अटार्नी नहीं दे सकते थे। इसके अलावा लीज दस्तावेज में जगह जगह ओवर राइटिंग की गई थी।
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