उन्होंने लिखा, ‘हमेशा की तरह ही भारतीय मीडिया का बढ़ा-चढ़ा कर प्रचार।
उम्मीद के मुताबिक प्रत्यर्पण पर आज से कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है।’
इसी
के साथ देश के 17 बैंकों का 9000 करोड़ का कर्ज डकारने के मामले में भारत
में वांछित विजय माल्या की लंदनु में गिरफ्तारी और कुछ देर बाद जमानत मिलने
के बाद सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए हैं। सरकार
और भाजपा के स्तर पर जहां माल्या की गिरफ्तारी का श्रेय लेने की बात दिखी,
तो दूसरी तरफ विपक्षी दलों ने सरकार को घेरा। गिरफ्तारी के बाद भाजपा ने
कहा कि सार्वजनिक संसाधनों की हेरा-फेरी करने वाले आरोपियों के खिलाफ यह
मोदी सरकारी की मजबूत इच्छाशक्ति को दर्शाता है। वहीं, माल्या को गिरफ्तारी
के कुछ ही देर बाद जमानत मिल जाने से विपक्ष को सरकार पर हमलावर होने का
मौका मिल गया। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, ‘एक घंटे
में माल्या को जमानत मिल गई...तो सरकार को देश के लोगों को गुमराह करना बंद
कर देना चाहिए।’
अब अगली कुछ सुनवाई के दौरान जज इस बात का फैसला
करेंगे कि क्या माल्या का अपराध उन्हें प्रत्यर्पित किए जाने लायक है? क्या
प्रत्यर्पित किए जाने की राह में कोई कानूनी बाधा है? जज यह भी देखेंगे कि
क्या प्रत्यर्पित करने के दौरान यूरोपियन मानकों के मुताबिक शख्स के
मानवाधिकारों का हनन तो नहीं हो रहा? जहां तक भारत और ब्रिटेन के बीच
प्रत्यर्पण को लेकर संधि है, उसमें प्रत्यर्पण को लेकर किसी आवेदन को खारिज
करने के कई आधार हैं। जानकार मानते हैं कि माल्या के केस में किसी नतीजे
पर पहुंचने के लिए निचली अदालत को कम से कम 10 सुनवाई करनी होगी। इसके बाद,
माल्या के सामने अपील और काउंटर अपील का विकल्प होगा।
विशेषज्ञों का
कहना है, ‘माल्या की कानूनी टीम वहां की अदालत में यही साबित करने की कोशिश
करेगी कि फ्रॉड या बकाए के मामले में व्यक्तिगत तरीके से माल्या पर आरोप
लगाना सही नहीं है। वे दावा करेंगे कि सारे कर्ज उस रजिस्टर्ड बिजनस के
कामकाज के दौरान लिए गए, जो बाद में डूब गया। वे कहेंगे कि पैसे रिकवर करने
के कई कानूनी तरीके हैं। इनमें संपत्ति की नीलामी भी शामिल है, जिस
प्रक्रिया को शुरू भी किया जा चुका है।’ प्रत्यर्पण संधि के आर्टिकल 9 में
लिखा हुआ है कि जिन आरोपों के आधार पर ब्रिटेन की जमीन से प्रत्यर्पण की
मांग की जाए, उसका कानूनी आधार बेहद अहम है। इस बात का भी साफ तौर पर जिक्र
है कि राजनीति से प्रेरित प्रत्यर्पण की मांगों पर कोई विचार नहीं किया
जाएगा। अगर माल्या यह साबित करने में कामयाब हो जाते हैं कि उनका केस
राजनीति से जुड़ा हुआ है तो उन्हें लाना बहुत मुश्किल हो जाएगा। इस साल 22
मार्च को विदेश मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, 2002 से अब तक
भारत सिर्फ 62 लोगों को प्रत्यर्पित करने में कामयाब रहा है।
माल्या की
बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस पर करीब 9000 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है।
यह कर्ज एसबीआई की अगुवाई वाले 17 बैंकों के समूह ने दिया था। पिछले साल
मार्च में माल्या भारत से निकल गए थे। उससे पहले उन्होंने यूएसएल के साथ
डील की थी, जिसमें उन्हें कंपनी से हटने के एवज में 500 करोड़ रुपये से
ज्यादा की रकम मिली थी और उस वक्त रही किसी भी ‘पर्सनल लायबिलिटी’ से वह
मुक्त कर दिए गए थे। तबसे माल्या ब्रिटेन में हैं। इसके कुछ दिन बाद ही
सुप्रीम कोर्ट ने माल्या को अपने पासपोर्ट के साथ व्यक्तिगत रूप से 30
मार्च, 2016 को पेश होने को कहा था। भारत ने इस साल 8 फरवरी को औपचारिक तौर
पर ब्रिटेन सरकार को भारत-ब्रिटेन प्रत्यर्पण संधि के तहत माल्या के
प्रत्यर्पण का औपचारिक आग्रह किया था। वहीं, प्रॉपर्टीज की नीलामी अब
कर्जदाताओं की ओर से एसबीआई कैप ट्रस्टी करा रहा है।
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