मुंबई। 9 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लेकर विदेश भागे भारतीय कारोबारी विजय
माल्या को 13 महीनों बाद मंगलवार को लंदन में स्कॉटलैंड यार्ड ने गिरफ्तार
कर लिया और महज तीन घंटे में ही जमानत भी मिल गई। कोर्ट में माल्या की अगली
पेशी 17 मई को होगी। सूत्रों के मुताबिक, स्कॉटलैंड यार्ड ने भारत की ओर
से माल्या के प्रत्यर्पण को लेकर की गई दरख्वास्त पर एक्शन लिया। हालांकि,
ऐसी आशंका है कि ब्रिटिश पुलिस की ओर से उठाए गए इस कदम का भारत की
संभावनाओं पर उलटा ही असर पड़ेगा। जानकारों का कहना है कि माल्या की
गिरफ्तारी के बाद जमानत और फिर ब्रिटेन में कानून प्रक्रिया शुरू करने के
बारे में कानून के जानकारों का मानना है कि कर्ज की अदायगी नहीं करने वाले
विवादित कारोबारी विजय माल्या का भारत प्रत्यर्पण आसान नहीं रहने वाला है।
कानूनी
जानकार मानते हैं कि माल्या की गिरफ्तारी और अदालत में पेश होते ही कुछ ही
देर में मिली बेल उनके ही पक्ष में ही गई है। इस कानूनी प्रक्रिया के जरिए
माल्या ने अपने प्रत्यर्पण को रुकवाने के लिए जमीन तैयार कर ली है। माल्या
ने ऐसा करके अपने केस को ब्रिटिश न्यायिक प्रक्रिया (जुडिशल सिस्टम) का
हिस्सा बना लिया है। अब उनके पास वहां के कानूनों में उपलब्ध सभी विकल्पों
का इस्तेमाल करने का रास्ता खुल गया है। इस लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद
ही उन्हें भारत प्रत्यर्पित करने का फैसला हो सकेगा। वरिष्ठ वकील केटीएस
तुलसी और दुष्यंत दवे का कहना है कि ब्रिटेन में अदालतें बहुत स्वतंत्र हैं
और प्रत्यर्पण को आसानी से स्वीकृति नहीं देतीं। तुलसी ने कहा कि भारत
सरकार ने माल्या के खिलाफ सबूत भेज दिए हैं और अदालतें स्वतंत्र रूप से
इसका आकलन करेंगी कि क्या ये सबूत माल्या को वापस भेजने की इजाजत देने के
लिए पर्याप्त हैं। उन्होंने कहा कि जब प्रत्यर्पण का आग्रह होता है, तो
आमतौर पर जमानत 80 दिनों के बाद मिलती है, लेकिन माल्या को गिरफ्तार करने
वाले दिन ही मिल गई। दवे ने कहा कि वहां अदालतें स्वतंत हैं और प्रत्यर्पण
की इजाजत आसानी से नहीं देती हैं।
कर्नाटक हाईकोर्ट में कार्यरत
प्रत्यर्पण से संबंधित कानूनों के जानकार एडवोकेट श्याम सुंदर का कहना है,
‘अब यह लंबे वक्त तक खिंचने वाली प्रक्रिया बन जाएगी और माल्या को वापस
लाना आसान नहीं होगा। जिस प्राइमरी कोर्ट में उनके मामले की सुनवाई हो रही
है, उसे प्रत्यर्पण के मामले में सिर्फ एडवाइजरी जुरिडिक्शन है (उच्च
न्यायालयों से सलाह ले सकती है या सरकार को सुझाव दे सकती है), जो फैसला
नहीं कर सकती। अदालत दोनों पक्षों की सुनवाई करने के बाद सरकार को सुझाव दे
सकती है कि माल्या को प्रत्यर्पित किया जाना चाहिए कि नहीं? इसके बाद
सरकार समीक्षा करेगी, वहीं माल्या के पास निचली अदालत के फैसले को उच्च
अदालतों में चुनौती देने का विकल्प होगा।’ बता दें कि माल्या के केस पर अब
अगली सुनवाई 17 मई को होगी। लंदन में गिरफ्तारी के बाद माल्या को
वेस्टमिंस्टर कोर्ट ले जाया गया जहां से उन्हें जमानत मिल गई। इसके बाद
माल्या ने भारतीय समय के अनुसार शाम 4.54 मिनट पर ट्वीट किया।
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