नई दिल्ली। गूगल ने कहा है कि साइबर सुरक्षा खतरे जैसे डिस्ट्रीब्यूटेड
डिनाइल-ऑफ-सर्विस (डीडीओएस) वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ रहे हैं। यह हर
आकार के व्यवसाय और उपयोगकर्ता के भरोसे को नुकसान पहुंचा रहे हैं। टेक
दिग्गज ने खुलासा किया है कि उसके बुनियादी ढांचे ने सितंबर 2017 में ऊंची
बैंडविथ वाले 2.5 टीबीपीएस डीडॉस के हमले को नाकाम किया था। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
गूगल ने शुक्रवार को एक बयान में कहा, "हमारे हजारों आईपी को एक साथ निशाना बनाने के बावजूद हमले का हम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।"
हमलावर
ने चकमा देने के लिए कई नेटवर्क का उपयोग करके 167 एमबीपीएस (प्रति सेकंड
लाखों पैकेट) से 1,80,000 सीएलएडीएपी, डीएनएस और एसएमटीपी सर्वरों को उजागर
किया था।
कंपनी ने आगे कहा, "यह हमलावरों के अच्छी तरह से साधन
संपन्न होने की बात को दशार्ता है क्योंकि यह हमला, एक साल पहले मिराई
बॉटनेट पर हुए 623 जीबीपीएस की तुलना में 4 गुना बड़ा था। यह अब तक का सबसे
उंची -बैंडविड्थ का हमला था।"
डीडॉस हमला बेवजह का ट्रैफिक बढ़ाकर
पीड़ित की सेवा को बाधित करती है। हालांकि यह हमला उपयोगकर्ता के डेटा को
उजागर नहीं करता है और समझौता करने के लिए भी नहीं कहता है। लेकिन यदि
सिस्टम में आई रुकावट को जल्दी नहीं हटाया जाता तो यह उपयोगकर्ताके विश्वास
को खोने का कारण बनता है।
गूगल ने यह भी कहा कि हमलावर सिस्टम को बाधित करने के लिए लगातार नई तकनीकें विकसित कर रहे हैं।
गूगल
ने कहा, "हम भविष्य में होने वाले हमलों के अपेक्षित आकार का अनुमान लगा
सकते हैं। लिहाजा हमें अप्रत्याशित चीजों के लिए तैयार रहना जरूरी है।"
कंपनी
ने हाल ही में 'क्लाउड आर्मर मैनेज्ड प्रोटेक्शन' की घोषणा की है जो
उपयोगकर्ताओं को अपनी तैनाती को सरल बनाने, लागतों का प्रबंधन करने और
एप्लिकेशन की सुरक्षा के जोखिम को कम करने में सक्षम बनाता है।
गूगल
ने कहा कि यह इंटरनेट समुदाय के दूसरे लोगों के साथ काम कर रहा है ताकि वह
उस इंफ्रास्ट्रक्चर की पहचान करके खत्म कर सके, जिनके जरिए ये हमले किए
गए। (आईएएनएस)
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