नई दिल्ली। विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) के प्रबंध निदेशक (भारत) सोमासुंदराम पी.आर. को लगता है कि वस्तु व सेवा कर (जीएसटी), नोटबंदी और धनशोधन रोधी (एएमएल) कानून के प्रभाव में आने से इस बार दिवाली पर सोने की चमक फीकी रहेगी। सोमासुंदरम ने एक साक्षात्कार में कहा, इस बार दिवाली की अपनी चुनौतियां हैं, लेकिन मैं अब भी आशावादी हूं, क्योंकि सब कुछ ठीक हो गया है। यह एएमएल का हिस्सा है, जो शायद इस समय लोगों को परेशान कर रहा है। इसके कारण धनतेरस पर खरीदारी से ज्यादा शादी की खरीदारी अधिक प्रभावित होगी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने कहा, मुझे अभी भी लगता है कि प्रशासन को ढेर सारी समस्याएं होंगी, लेकिन उपभोक्ता को उतनी नहीं होगी। संगठित क्षेत्र में अच्छी तेजी है। हालांकि, नोटबंदी और एएमएल निश्चित रूप से प्रभावित कर रहे हैं। सरकार ने रत्न और आभूषण उद्योग को धनशोधन रोकथाम अधिनियम के दायरे में शामिल किया है, जिसके कारण अनुपालन की जरूरतें बढ़ गई हैं। पहली जुलाई को पूरे देश में लागू हुई नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली (जीएसटी) में सोने को तीन प्रतिशत कर स्लैब में रखा गया है।
सोमसुंदरम ने कहा, पहली छमाही (जनवरी-जून) में आयात 532 टन था, जबकि मांग अभी भी 298 टन थी। दरअसल, जीएसटी से पहले लोग जितना ज्यादा आयात कर सकते थे, उतना किए, लेकिन उस हिसाब से मांग नहीं बढ़ी। वर्तमान में, 22 कैरेट सोने की कीमत लगभग 29,000 रुपये प्रति 10 ग्राम है।
डब्लूजीसी ने इसके पहले एक रपट में कहा था, हम देख रहे हैं कि जीएसटी के बाद उपभोक्ता व्यवहार बदल रहा है। हमारे 26 सालों के आंकड़ों के आर्थिक विश्लेषण से पता चला है कि उच्च कर सोने की मांग को घटाती है। बल्कि कर ऐसा हो जो उपभोक्ता के लाभ के लिए उद्योग को बदले। डब्ल्यूजीसी के आकड़े ने हाल ही में दिखाया था कि 2017 की दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) में भारत में सोने की मांग 167.4 टन थी, जो 2016 की दूसरी तिमाही की 122.1 टन मांग की तुलना में 37 फीसदी अधिक है।
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