नई दिल्ली। राज्यसभा के सदस्यों में यदि जरा भी स्वाभिमान बाकी बचा है, तो
उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली ने लोकसभा में
मंगलवार को यह बात कही। उन्होंने उच्च सदन की अवमानना को लेकर सरकार की
आलोचना की और कहा कि सरकार विधेयकों को वित्त विधेयक के रूप में पेश कर रही
है, ताकि उच्च सदन से पारित कराने की जरूरत न पडे और लोकसभा में आसानी से
पारित हो सके।
कांग्रेस सांसद ने लोकसभा में जीएसटी विधेयक पर बहस के दौरान यह बात कही।
मोइली ने वित्तमंत्री अरूण जेटली की तरफ, जो कि राज्यसभा के सदस्य हैं,
इंगित करते हुए कहा, यह संघीय कानून, संघीय वित्त में सबसे बडा कदम है। आप
राज्यों की परिषद के प्रतिनिधि हैं। वित्तमंत्री आप खुद के अधिकारों को
ठुकरा रहे हैं। मेरा मानना है कि इतिहास इसे याद रखेगा कि हम इस महान
राष्ट्र की संघीय अवधारणा को किस तरह से चोट पहुंचा रहे हैं।
कांग्रेस नेता ने कहा, आज हम लोग खुश हैं कि यहां एक बडी चीज हो रही है।
मैं यह नहीं कहूंगा कि यह निर्दयता है, क्योंकि यहां बहुमत है। मै बुलडोजर
चलाने जैसे शब्द का भी इस्तेमाल नहीं करूंगा, क्योंकि वेंकैया नायडू ने कहा
है कि इस शब्द का इस्तेमाल न करें। इसमें कुछ गलत नहीं है, आप सही हैं। आप
निजी तौर पर महसूस करते हैं कि आपको ऎसा करने का अधिकार है, आपको राज्यसभा
को वंचित करने का अधिकार है।
उन्होंने कहा,अन्यथा यहां राज्यों की परिषद को बनाए रखने का क्या औचित्य
है। उनके पास देश की संघीय संरचना पर हमले के खिलाफ आवाज उठाने का अधिकार
नहीं है। अगर अभी भी उनमें थोडा बहुत स्वाभिमान बाकी है तो मेरे ख्याल से
सबको इस्तीफा दे देना चाहिए।
विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार ने विधेयकों को वित्त
विधेयक में बदलकर उन विधेयको का नाश किया है, ताकि राज्यसभा के सदस्यों
द्वारा इसका विरोध या इसमें किसी प्रकार का संशोधन नहीं किया जा सके।
याद रहे, वित्त विधेयक को केवल लोकसभा में रखा जाता है और एक बार जब निचला
सदन इसे पारित कर देता तो राज्यसभा को इसे 14 दिनों के अंदर पारित करना
होता है,अन्यथा यह मान लिया जाता है कि दोनों सदनों ने इस विधेयक को पारित
कर दिया है।
पिछले साल सरकार ने आधार को भी वित्त विधेयक बना कर पेश किया था।
संसद में मैराथन चर्चा की शुरुआत...
देश के सबसे बड़े आर्थिक बदलाव वाले जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज
टैक्स) विधेयक पर बुधवार को संसद में मैराथन चर्चा की शुरुआत हुई। दोपहर
12 बजे शुरू हुई यह चर्चा सायं 7 बजे तक चलेगी। केन्द्र सरकार ने जल्द से
जल्द जीएसटी लागू करने कि लिए अहम चार विधेयक संसद के सामने रखा है। इस बहस
और विधेयकों के पारित होने के बाद केन्द्र सरकार को GST लागू करने का
अंतिम मसौदा तैयार करना है।
चर्चा की शुरूआत करते हुए वित्त मंत्री अरुण
जेटली ने जीएसटी को क्रांतिकारी बिल बताते हुए सबके हितों वाला करार दिया,
वहीं कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली ने इसे गेम चेंजर नहीं बल्कि बचकाना कदम
बताया। मोइली ने कहा कि बीजेपी ने जीएसटी लागू करने में देर कर देश को करीब 12 लाख करोड़ रुपये का चूना लगाया है। मोइली ने कहा कि यूपीए सरकार इसे अप्रैल 2010 से ही लागू करना चाहती थी।
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा पेश जीएसटी से जुड़े बिलों पर
सरकार का पक्ष रखते हुए कहा, अभी तक कुछ टैक्स लगाने का अधिकार केंद्र को
था तो कुछ का राज्य को, अब पूरे देश में एक टैक्स प्रणाली होगी। उन्होंने
कहा कि संसद को भी और राज्यों की विधानसभा को गुड्स और सर्विस पर टैक्स
लगाने का अधिकार होगा। जीएसटी काउंसिल में 32 राज्यों के प्रतिनिधि हैं। इस
काउंसिल ने अब तक 12 बैठकें की हैं, ताकि इस पर आपसी सहमति बन सके। हमें
यह ध्यान रखना होगा अधिकारों का दुरुपयोग न हो।
वित्तमंत्री ने कहा,
संविधान संसोधन के तहत जीएसटी के तहत पहले पांच साल में किसी राज्य को घाटा
होगा तो उसकी व्यवस्था की जाएगी। इसका लक्ष्य वस्तु और सेवाओं का बेहतर
संचालन सुनिश्चित करता है। राज्य और केंद्र के बीच राजस्व का बंटवारा होगा।
जेटली
ने कहा, संसद और राज्य विधानसभाओं को जीएसटी लगाने को अधिकार होगा। यह
कैसे होगा, इसी पर हम काम कर रहे हैं, जिससे कि कोई टकराव ना हो और हम
टैक्स का संघीय ढांचा बना सकें। उन्होंने कहा कि इसके अधिकारों की दुरुपयोग
न हो, यह ध्यान रखना होगा।
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