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चंद्रयान-2 को 98 % सफल बताने को लेकर ISRO चीफ पर वैज्ञानिकों ने उठाए सवाल

Former scientist criticises ISRO handling of Chandrayaan 2 in Facebook post - India News in Hindi

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष के. सिवन ने कहा था कि चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) मिशन ने अपना 98 फीसदी लक्ष्य हासिल किया है जबकि वैज्ञानिक लैंडर ‘विक्रम' (Vikram Lander) के साथ संपर्क स्थापित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। यह करीब साढ़े सात साल तक हमें चांद से संबंधित आंकड़ें और तस्वीरें भेजता रहेगा। लेकिन इसरो चीफ के इस बयान के बाद देश के कई वरिष्ठ वैज्ञानिक सिवन के इस बयान पर सवाल उठा रहे हैं। एक वैज्ञानिक ने सोशल मीडिया पर पोस्ट डालकर इसरो के नेतृत्व और रॉकेट साइंस पर लेख लिखा है।

इसरो चेयरमैन के सलाहकार और स्पेस एप्लीकेशन सेंटर अहमदाबाद के पूर्व निदेशक तपन मिश्रा ने सोशल मीडिया पर एक लेख लिखा है। इसमें बिना इसरो चीफ सिवन का नाम लिए उन्होंने इसरो के नेतृत्व पर सवाल उठाए हैं। तपन मिश्रा ने लिखा है कि लीडर्स हमेशा प्रेरित करते हैं, वे प्रबंधन (मैनेज) नहीं करते। सिवन के इसरो चीफ बनने के तुरंत बाद ही तपन मिश्रा को स्पेस एप्लीकेशन सेंटर अहमदाबाद के निदेशक पद से हटा दिया गया था। तपन मिश्रा ने लिखा है कि जब अचानक से नियमों को मानने की व्यवस्था बढ़ जाए, कागजी कार्यवाही में इजाफा हो जाए, मीटिंग्स ज्यादा होने लगे, घुमावदार बातें होने लगे तो ये मान लेना चाहिए कि आपके संस्थान में लीडरशिप (नेतृत्व) अब दुर्लभ होता जा रहा है।

सभी संभावित मुसीबतों को लेकर होनी चाहिए मशीन की जांच : तपन मिश्रा
तपन मिश्रा ने कहा कि जब आपके स्कूटर का टायर सड़क पर पंक्चर हो जाता है, तब आप एक मैकेनिक को बुलाते हैं उसे ठीक करने के लिए। ठीक होने के बाद वह फिर से चलने लगता है। इसलिए जब भी किसी स्पेसक्राफ्ट या रॉकेट के साथ कुछ गड़बड़ हो जाए तब भी आपको मैकेनिक को नहीं भूलना चाहिए। स्पेस साइंस और टेक्नोलॉजी में 100 प्रतिशत भरोसा होना बेहद जरूरी है। तपन मिश्रा आगे लिखते हैं कि जब भी आप कोई मशीन अंतरिक्ष में भेजते हैं, तब आपको कई सुधारात्मक उपाय करने होते हैं क्योंकि अंतरिक्ष में कोई व्यक्ति नहीं होता जो गड़बड़ी को ठीक कर दे। आपको उस मशीन को अंतरिक्ष में भेजने से पहले कई बार अंतरिक्ष में माहौल के हिसाब से जांच लेना चाहिए। सभी संभावित मुसीबतों के अनुसार उस मशीन की जांच की जानी चाहिए।

एक वैज्ञानिक ने कहा- विक्रम लैंडर के डिजाइन की जांच हो...

अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के वैज्ञानिक भरत ठक्कर ने कहा ने भी विक्रम लैंडर को लेकर गुणवत्ता नियंत्रण और भरोसेमंद कार्यप्रणाली पर कई सैद्धांतिक सवाल उठाए हैं। भरत ठक्कर ने कहा कि विक्रम लैंडर के मैकेनिकल डिजाइन को लेकर पोस्टमॉर्टम करना चाहिए। ये पता करना चाहिए कि विक्रम के मैकेनिकल डिजाइन में सुरक्षा को लेकर क्या-क्या व्यवस्था की गई थी। क्या इस पर कोई काम किया गया है?

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Web Title-Former scientist criticises ISRO handling of Chandrayaan 2 in Facebook post
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