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करिश्मा वर्मा, जयपुर। कहते है कला किसी की मोहताज नहीं होती और जब बात हो राजस्थान के लोक संगीत की तो कला से लोगों के बीच अपनी मधुर आवाज के रंग बिखेरती सुप्रिया ने देश भर में जहां अपनी आवाज से सबको राजस्थानी संगीत का कायल बनाया साथ ही राजस्थानी संगीत के अस्तित्व को बचाने के लिए वही इन गीतों को आज की युवा पीढ़ी तक पहुचाने का भी काम कर रही है।
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तीन साल की उम्र से हुई गायकी की शुरुआत
सुप्रिया कायस्थ फैमिली से ताल्लुक रखती हैं पिताजी आर्मी में होने के कारण उनकी पोस्टिंग अलग-अलग जगह पर होती रहती थी और मुझे बचपन से ही पढ़ाई लिखाई के साथ म्यूजिक में भी इंट्रेस्ट था इसलिए पिता जी ने जब मैं 3 साल की थी तब से ही म्यूजिक टीचर से ट्रेनिंग दिलवाना शुरू कर दिया था जहां जहां पिताजी की पोस्टिंग होती मैं वहां वहां की अलग-अलग तरह के म्यूजिक की ट्रेनिंग लेती थी इस कड़ी सुप्रिया ने पंजाब, मध्य प्रदेश, असम, हैदराबाद और जोधपुर में भी संगीत की ट्रेनिंग ली|
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