नई दिल्ली। शत्रु संपत्ति संशोधन बिल आज लोकसभा में भी ध्वनिमत से पारित हो
गया। गौरतलब है कि राज्यसभा में यह बिल पहले ही पारित हो चुका है।
ज्ञातव्य है कि शत्रु संपत्ति बिल राज्यसभा में पास हो चुका है। 50 साल
पुराने इस शत्रु संपत्ति बिल में युद्ध के बाद पाकिस्तान और चीन पलायन कर
गए लोगों की तरफ से छोडी गई संपत्ति पर उत्तराधिकार के दावों को रोकने के
प्रावधान किए गए हैं। बिल में विभाजन या युद्ध के बाद गए लोगों की छूटी
प्रॉपर्टी के दावों से निपटने के प्रावधान हैं। बिल के अनुसार जो लोग यहां
से पलायन कर गए और पाकिस्तान या चीन की नागरिकता ले ली है, उनकी संपत्ति को
जब्त कर लिया जाएगा। [ अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
साथ ही भारत में रह रहे उनके उत्तराधिकारियों के पास
भी उनकी छूटी संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होगा। ज्ञातव्य है कि यह विधेयक
इस संबंध में सरकार द्वारा जारी किए गए अध्यादेश का स्थान लेगा। निचले सदन
ने इस बारे में आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन द्वारा रखे गए शत्रु सम्पत्ति
संशोधन और विधिमान्यकरण पांचवां अध्यादेश 2016 का निरनुमोदन करने वाले
संकल्प को अस्वीकार कर दिया।
इस बारे में हुई चर्चा का जवाब देते हुए गृह
मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि किसी सरकार को अपने शत्रु राष्ट्र या उसके
नागरिकों को संपत्ति रखने या व्यावयायिक हितों के लिए मंजूरी नहीं देनी
चाहिए। शत्रु संपत्ति का अधिकार सरकार के पास होना चाहिए न कि शत्रु देशों
के नागरिकों के उत्तराधिकारियों के पास।
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