अभिषेक मिश्रा,लखनऊ। होली की आहट ने बिक्री न होने से सुस्त पड़े मेवा बाजार में रौनक अचानक बढ़ा दी है। दीवाली के बाद नोटबंदी के चलते मंदे हुए इस कारोबार में अब होली करीब आते ही गरमाहट बढ़ने लगी है। कारोबारी भी इस बात को लेकर खुश हैं कि होली के ही बहाने ही सही अब उनका कारोबार फिर से पटरी पर आ गया है। इस बीच पिछली होली के मुकाबले मेवा की कीमतों में तीस फीसदी तक गिरे भावों ने भी आम ग्राहकों को इसकी खरीदारी के ओर आकर्षित किया है। यही वजह है कि मेवा के दामों में आयी इस गिरावट के चलते लोग इस होली में मेवायुक्त गुझिया बनाकर इनका स्वाद लेने से कतराएंगे नहीं। राजधानी के प्रमुख मिष्ठान प्रतिष्ठानों ने भी मेवा के गिरे भावों के चलते अपने यहां इस बार होली पर ‘‘मेवा स्पेशल गुझिया’ ही उतारने की तैयारी की है। फिलहाल इस गुझिया के भाव भी कम ही रहने वाले हैं। मेवा गुझिया का नाम व भाव सुनते ही आगे बढ़ जाने वाले कस्टमर इस बार इन्हीं की खरीदारी करते नजर आएंगे। यह गुझिया 300 से 500 रुपये किलो में मुहैया होगी।
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असल में होली के मौके पर मेवों का प्रयोग गुझिया बनाने का लिएहोता है। इसमें किशमिश, चिरौंजी, छुहारा, गोला और मखाना खासतौर से डाला जाता है। कुछ लोग काजू व पिस्ता-बादाम वाली गुझिया भी तैयार करवाते हैं। वैसे बीती दीवाली पर तो मेवा बाजार में खासी रौनक रही और मित्रों व जानने वालों को फेस्टिवल गिफ्ट के लिए उस समय अच्छी बिक्री भी हुई। उसके बाद नोटबंदी के चलते सहालग होने के बाद भी मेवा की बिक्री न के बराबर हो गयी। नवम्बर व दिसम्बर-2016 से लेकर जनवरी-17 तक मेवा बाजार की हालत खासी पतली रही। सुभाष मार्ग, रकाबगंज व यहियागंज के किराना मार्केट में मेवा की थोक बिक्री करने वाले कारोबारी मुकेश, रमेश पहावा व श्रीनिवास की मानें तो इस दौरान कुछ दिन तो यह स्थिति रही कि दुकान के रोज के खर्च के बराबर भी बिक्री नहीं हुई।
फरवरी से लेमर मार्च-17 के शुरू तक भावों में अचानक आयी गिरावट के चलते और होली की फगुनाहट ने मेवा बाजार को एक बार फिर रौशन कर दिया है। ग्रहकों की आमद बढ़ने व घटे दामों से मांग में आयी वृद्धि ने कारोबारियों के चेहरे खिला दिये हैं।उत्पादन अच्छा रहने से भाव गिरेकरोबारियों की माने तो इस बार देश खासतौर से कश्मीर में मेवा की फसल अच्छी रही है। जिसका असर अचानक होली पर नजर आने लगा है। मार्केट में माल भी भरा हैं और बाहर से भी अच्छी आवक आने से हर बार होली पर चढ़ने वाले भाव इस बार गिर गये हैं। थोक कारोबारी जम्बू जैन व प्रबोध ने बताया कि किशमिश, चिरौंजी व छुहारा का रेट अच्छा खासा गिरा है। छुहारा चूंकि पाकिस्तान से आता है और इस बार वहां से अच्छी खेप आने से भाव लगातार गिरते रहे। वैसे थोक कारोबारियों की माने तो हल्के-फुल्के उतार-चढ़ाव को छोड़ दें तो बीते दस वर्षो में उक्त मेवों के भावों में गिरावट आती रही है।
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