जयपुर। प्रदेश के सबसे बड़े सवाई मानसिंह अस्पताल में डॉक्टरों सहित अन्य कर्मचारियों की ओर से गुरुवार को कार्य बहिष्कार जारी रहा। प्रदेशभर के डॉक्टर भी इनके समर्थन में आ गए हैं। जयपुर में सुबह सीनियर डाक्टरों के साथ चिकित्साकर्मी, तकनीकी कर्मचारी व संविदाकर्मी भी अस्पताल के बाहर धरने पर बैठ गए और अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी कर विरोध प्रदर्शन किया। सीनियर डॉक्टर भी इसमें शामिल हुए। इस दौरान करीब सौ डाक्टरों ने सामूहिक इस्तीफा देकर सरकार की नीतियों के खिलाफ विरोध जताया है।
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उधर अजमेर में जेएलएन मेडिकल कॉलेज के करीब 160 डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफा दिया है। डॉक्टरों ने शुक्रवार को विरोध स्वरूप अपने कमरों के बजाय बाहर हाल में समानांतर ओपीडी लगाने का निर्णय किया है। कोटा में 150 डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया। उदयपुर में राजस्थान मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन की बैठक हुई। इसमें निर्णय किया गया कि जयपुर में लिया गया निर्णय ही फॉलो किया जाएगा। इसके बाद कई प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसरों एवं असिस्टेंट प्रोफेसरों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया। इसके अलावा बीकानेर, भरतपुर, श्रीगंगानगर, जोधपुर में सभी डॉक्टरों ने जयपुर में होने वाले फैसले के अनुसार निर्णय लेने की बात कही है।
यह है मामला
चिकित्सा विभाग की ओर से 7 मार्च को जारी किए गए आदेश को डॉक्टरों ने वापस लेने की मांग उठाई है। इसके साथ ही अखिल राजस्थान चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण कर्मचारी महासंघ की ओर से मांग रखी गई कि मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध अस्पतालों के लैब टेक्नीशियन, कम्प्यूटर ऑपरेटर, प्रयोगशाला सहायक, वार्ड ब्वॉय, ट्रॉलीमैन, इलेक्ट्रीशियन, टेलीफोन ऑपरेटर व हैल्पर को नियमित किया जाए तथा कर्मचारियों का वेतन आरएमआरएस से कराया जाए। महासंघ के अध्यक्ष चंद्रपाल सिंह, महासचिव शक्तिसिंह व अजय भट्ट ने बताया कि हमारा प्रदर्शन ठेका प्रथा के खिलाफ है और हमारी सरकार से मांग है की चिकित्सा विभाग में काफी समय से कार्यरत कर्मचारियों को नियमित किया जाए साथ ही सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए समान कार्य समान वेतन के आदेश की पालना की जाए। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने हमारी मांगे नहीं मानी तो हड़ताल यूं ही जारी रहेगी।
ओपीडी में मरीज बेहाल
हड़ताल के कारण अस्पताल में चिकित्सा सेवांए पूरी तरह से बाधित हो गई। जिसके चलते धन्वंतरि ओपीडी में मरीजों को लम्बी कतारों में परेशान होना पड़ा। हड़ताल को देखते हुए चिकित्सा विभाग की तरफ से टेम्परेरी स्टाफ को लगाया गया।
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