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बुंदेलखंड को अलग करने की उठेगी मांग

Demand for separation of Bundelkhand now once again - Jhansi News in Hindi

झांसी | केंद्र के बाद मध्य प्रदेश और अब उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार बनने के बाद बुंदेलखंड में एक बार फिर से अलग राज्य की उम्मीदें हिलोरें मारने लगी हैं। यहां के लोगों को इस मुद्दे पर भाजपा के रुख का इंतजार है।
बुंदेलखंड क्षेत्र गरीबी, भुखमरी, सूखा, बेरोजगारी की पहचान बन चुका है। यह इलाका उत्तर प्रदेश के सात जिलों झांसी, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर, बांदा, महोबा, कर्वी (चित्रकूट) और मध्यप्रदेश के छह जिले छतरपुर, टीकमगढ़, पन्ना, दमोह, सागर व दतिया में फैला हुआ है। इस हिस्से को अलग राज्य का दर्जा दिए जाने का लगभग चार दशकों से आंदोलन चल रहा है।

बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हरिमोहन विश्वकर्मा कहते हैं, भाजपा के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के काल में ही तीन छोटे राज्यों का गठन हुआ था, उम्मीद करते है कि इस दौर में भी भाजपा यह पहल करेगी। यह पिछड़ा इलाका है, यहां की स्थिति अलग राज्य बनाकर ही संभाली जा सकती है। लिहाजा, भाजपा के नेताओं के इस पृथक राज्य को लेकर अलग-अलग स्वर है। भाजपा को पहले अपने विरोधाभासी स्वरों पर विराम लगाकर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।

वह आगे कहते हैं कि कांग्रेस हो या भाजपा की सरकारें, दोनों ने बुंदेलखंड राज्य को बनाने की बजाय बोर्ड, विकास प्राधिकरण और राशि आवंटित की, मगर विकास नहीं हुआ। वास्तविकता यह है कि बोर्ड और प्राधिकरणों से विकास नहीं होता। भाजपा यहां के हालात बदलना चाहती है तो पृथक राज्य के लिए पहल करे।

बुंदेलखंड राज्य के लिए अरसे से लड़ाई लड़ते आ रहे फिल्मी कलाकार राजा बुंदेला वर्तमान में भाजपा जुड़े हुए हैं। उनका मानना है कि उमा भारती ने भी पृथक राज्य का समर्थन किया है। वर्तमान दौर में जरूरी है कि राज्य के लिए पैरवी अच्छे से की जाए।

यहां बताना लाजिमी होगा कि केंद्रीय मंत्री और झांसी से सांसद उमा भारती अलग राज्य की पैरवी करती नजर आती हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने अलग राज्य का समर्थन किया था। वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पृथक राज्य के पक्ष में नहीं है।

पृथक बुंदेलखंड राज्य के आंदोलन से जुड़े पत्रकार जगदीश तिवारी का कहना है कि भाजपा जब सत्ता में नहीं होती है, तब उसके नेता राज्य निर्माण के आंदोलनों के मंच पर आकर पैरवी करते हैं, बड़े-बड़े वादे करते हैं, मगर उन मंचों (विधानसभा व लोकसभा) पर यह मामला उठाते नजर नहीं आते, जहां से राज्य निर्माण की पहल होनी है।

तिवारी ने कहा, अब भाजपा दोनों राज्यों मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश सहित केंद्र में भी सत्ता में है। देखना होगा कि इस दल के नेता कब राज्य की मांग का साथ देते हैं या वादे भूलकर सत्ता का लुत्फ उठाने में मशगूल हो जाते हैं।

केंद्र व दोनों राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं और दोनों राज्यों में बंटा बुंदेलखंड है। यही कारण है कि लोगों को लगने लगा है कि यही अनुकूल समय है। भाजपा अगर चाहेगी तो `अलग राज्य` बनने का उनका सपना पूरा हो सकता है।

आईएएनएस

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