अभिषेक मिश्रा, लखनऊ। दालों के भाव बीते एक सप्ताह
में अचानक तेजी से ऊपर चढ़ने लगे हैं। थोक करोबारियों की माने तो ऐसा मौसम में
अचानक आये बदलाव के चलते होना शुरू हो गया है। कई राज्यों में जहां बारिश होना
शुरू हो गयी है वहीं कई जगह अचानक ठण्डक भी बढ़ गयी है। पर ऐसा बिल्कुल भी नहीं
है। क्योंकि होली के चलते नमकीन के भावों में आ रहे उछाल के कारण ही दालों के भाव
में उछाल आना बताया जा रहा है। चूंकि मार्केट में मौजूदा समय में दालों का स्टाक
पर्याप्त नहीं हैं। अधिकतर माल होली के चलते दालमोठ तैयार कराने के लिए बाजार से
एक से डेढ़ माह पहले ही उठा लिया जा सका है। उत्पादन करने वाला किसान अब दलहन अपने
खुद के लिए जुटा कर रख लेने में जुट गया है। जिससे मार्केट में अचानक दलहन का
स्टाक घटता जा रहा है। यही वजह है कि मार्च शुरू होते ही बीते एक सप्ताह में दालों
के भावों में प्रति किलो पांच से आठ रुपये तक की तेजी आ चुकी है। [ अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
दीवाली के बाद से लगातार कम बिक्री की मार सह रहे नमकीन करोबारी अब
होली के मौके पर अचानक बढ़ी खपत का लाभ उठाने में पीछे नहीं रहना चाहते। मांग के
करीब डेढ़ माह पहले से ही तैयार की जाने वाली दालमोठ के निर्माण में इस्तेमाल होने
वाली कई प्रमुख वस्तुओं के भाव हालांकि पूर्व के दिनों में खासे कम थे पर अब होली
आने पर मार्केट में बिक रही दालमोठ महंगी ही है। फिलहाल इस समय होली की मांग के
चलते लोग इस महंगाई को दरकिनार कर दालमोठ की बिक्री करने में जुटे हुए हैं। उधर
दालमोठ के निर्माण में इस्तेमाल की जाने वाली कई वस्तुओं के बीते माह खासे गिरे
होने के बाद भी दालमोठ करोबारी इनके भाव गिराने के मूड में नहीं हैं।असल में होली
पर सबसे अधिक दालमोठ की बिक्री होती है। इसके तीन-चार दिन पहले ही फुटकर बाजार में
इसकी बिक्री जोरों पर रहती है। यही वजह है कि इस समय दालमोठ निर्माताओं के पास फुटकर
दुकानदारों की मांग तेज है।
वैसे डेढ़ माह पूर्व जिस समय तमाम वसुतओं की कीमतें
बढ़ी हुई थीं, उस समय दालमोठ के फुटकर बाजार में जो रेट थे वही अब भी होने का दावा
किया जा रहा है। दालमोठ निर्माताओं की माने तो दामों में कोई खास अंतर नहीं आया
है। उनका तर्क है कि डेढ़ माह पूर्व जब होली के लिए दालमोठ तैयार करने के लिए
जरूरी सामग्री की खरीद की गयी थीं तो दालों के साथ ही खाद्य मसालों के भाव भी चढ़े
हुए थे। ऐसे जब चढ़े हुए भावों पर दाल व मसालों की खरीद कर माल तैयार करवाया है तो
अब इनके भाव गिरने पर दालमोठ भला कैसे सस्ती हो सकती है।
चूंकि दालमोठ का उत्पादन
मार्केट में मांग शुरू होने के करीब एक से डेढ़ माह पहले से ही करनी होती है यही
वजह है कि अब इनके भावों में किसी प्रकार की गिरावट की गुंजाइश नहीं हैं।होली बाद
उतर सकते हैं चढ़े भाव : होली के बाद दालमोठ के भाव कुछ कम हो सकते हैं। ऐसा तब ही
होगा जब दालों के भाव सामान्य बने रहेंगे। यदि दालों के भाव तेजी से चढ़ने लगे तो
दालमोठ की कीमतों में गिरावट संभव नहीं हो सकेगी। फिलहाल लोग होली के मौके पर अपने
रिश्तेदारों व मेहमानों के स्वागत के लिएगुझिया तैयार करने और खरीदने के साथ ही
महंगी दालमोठ भी करीद रहे हैं ताकि घर आने वाले का मुंह मीठा कराने के साथ ही
नमकीन भी कराया जा सके।आगरा, फरूर्खाबाद व कानपुर से आता है।
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