दो अंग्रेजी अखबारों- चाइना डेली और ग्लोबल टाइम्स ने भारत के गृह
राज्यमंत्री किरण रिजिजू के बयान के बाद भारत पर तीखा हमला बोला था। रिजिजू
ने कहा था कि अरुणाचल प्रदेश, जिसे चीन दक्षिणी तिब्बत कहता है, वह भारत
का अभिन्न हिस्सा है। रिजिजू की टिप्पणियों पर विरोध जताते हुए इन अखबारों
ने कहा कि भारत दलाई लामा का इस्तेमाल चीन के खिलाफ एक ‘रणनीतिक हथियार’ के
रूप में कर रहा है। वह ऐसा इसलिए कर रहा है, क्योंकि चीन ने परमाणू
आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता और जैश-ए-मोहम्मद के
प्रमुख मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध के खिलाफ वीटो जैसे मजबूत
अधिकार का इस्तेमाल किया है।
अखबार के अनुसार, छह स्थानों के नामों के
मानकीकरण पर टिप्पणी करते हुए चीनी विशेषज्ञों ने कहा कि यह कदम विवादित
क्षेत्र में देश की क्षेत्रीय संप्रभुता को सुनिश्चित करने के लिए उठाया
गया है। बीजिंग की मिंजू यूनिवर्सिटी ऑफ चाइना में एथनिक स्टडीज के
प्रोफेसर जियोंग कुनजिन के हवाले से कहा गया, मानकीकरण का यह कदम एक ऐसे
समय पर उठाया गया है, जब दक्षिण तिब्बत के भूगोल को लेकर चीन की सक्षम और
इसके प्रति मान्यता बढ़ रही है। स्थानों के नाम तय करना दक्षिण तिब्बत में
चीन की क्षेत्रीय अखंडता की पुष्टि की दिशा में उठाया गया कदम है। जियोंग
ने कहा कि क्षेत्रों के नामों को वैध रूप देना कानून का हिस्सा है। तिब्बत
एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज में एक शोधार्थी गुओ केफन ने कहा, ये नाम प्राचीन
समय से अस्तित्व में हैं लेकिन ये पहले कभी मानकीकृत नहीं थे। इसलिए इन
नामों की घोषणा एक तरह से उसका इलाज है।
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