जयपुर। राजस्थान मदरसा बोर्ड की एक विशेष बैठक शिक्षा संकुल स्थित बोर्ड कार्यालय में हुई। इसमें विभाग के कैबिनेट मंत्री अरुण चतुर्वेदी, मदरसा बोर्ड के चेयरमैन मेहरुन्निसा टाक समेत बोर्ड के सदस्यों ने मदरसों के वर्तमान हालात, मदरसा पैराटीचरों की विभिन्न मांगों सहित अनेक मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की। इस बैठक की खास बात यह रही कि मदरसा बोर्ड के गठन के बाद आज तक पहली बार कैबिनेट मंत्री अरुण चतुर्वेदी ने बोर्ड बैठक में चेयरमैन व सदस्यों से चर्चा कर मदरसों के विकास के प्रति सरकार की मंशा का अहसास कराया। [ अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
बैठक में चतुर्वेदी ने पैराटीचरों के मानदेय में हो रही देरी पर नाराजगी जताते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए कि मानदेय जैसे मामलों में कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और आगे से पैराटीचरों का मानदेय समय पर भेजें। बैठक में चेयरमैन टाक व सदस्यों ने चतुर्वेदी को मदरसों के पंजीकरण व क्रमोन्नति के अधिकार पिछली सरकार में राज्य सरकार स्तर पर लिए जाने के मामले से अवगत कराते हुए इसमें लंबी प्रक्रिया से होने वाली परेशानियों से अवगत कराया। साथ ही मदरसा बोर्ड को वैधानिक दर्जा दिए जाने पर भी चर्चा की। चतुर्वेदी ने कहा कि मदरसा बोर्ड को वैधानिक दर्जा दिलाने के लिए प्रयास जोर-शोर से किए जा रहे हैं और जल्द ही मदरसा बोर्ड को अन्य राज्यों की तर्ज पर वैधानिक दर्जा मिलेगा। बोर्ड चेयरमैन टाक व सदस्यों ने मदरसों में लागू की गई मुख्यमंत्री जन सहभागिता योजना के लिए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे व मंत्री चतुर्वेदी का आभार जताया। साथ ही मदरसा पैराटीचरों की नियमितिकरण व मानदेय वृद्धि पर भी सहानुभुति पूर्वक विचार करने की मांग रखी व बजट में मानदेय में की गई 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी को और बढ़ाकर पैराटीचरों को सम्मानजनक मानदेय देने की मांग भी रखी। बैठक में मदरसा बोर्ड सदस्य यूनुस चौपदार, अब्दुल अजीज, सैय्यद अफशान चिश्ती, रुबी खान, मुफ्ती अमजद मेवाती, उस्मान चौहान समेत अनेक सदस्यों ने विचार रखे।
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