नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में तैनात जजों को बड़ा तोहफा दे सकती है। केन्द्र सरकार हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में तैनात जजों के रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने पर विचार कर रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बुधवार से शुरू हो रहे संसद के मौजूदा मॉनसून सत्र में केंद्र सरकार संसोधन विधेयक पेश कर सकती है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
जजों के रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने पर विचार...
न्यूज 18 से बातचीत के दौरान, बताया जा रहा है कि इस संशोधन विधेयक में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में तैनात जजों के रिटायरमेंट की उम्र 2 साल और बढ़ाने पर विचार कर सकती है। बता दे, सुप्रीम कोर्ट के जजों के रिटायरमेंट की उम्र 65 साल से बढ़ा 67 साल, वहीं हाईकोर्ट के जजों की रिटायरमेंट एज 62 साल से बढ़ा कर 64 करने पर विचार किया जा रहा है।
संविधान में संसोधन की जरूरत...
गौर करने वाली बात यह भी है कि जजों की रिटायरमेंट एज बढ़ाने के लिए संविधान में संसोधन की जरूरत होगी। वहीं दूसरी और सरकार इसमें उच्चतर अदालतों में जजों की भारी कमी का हवाला दे सकती है।
24 हाईकोर्ट में जजों के 406 पद रिक्त...
बता दें, विधि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 24 हाईकोर्ट में जजों के 406 पद खाली पड़े हैं। वहीं देश भर की विभिन्न अदालतों में करीब तीन करोड़ केस पेंडिंग हैं। विधि मंत्रालय के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा, ‘इलाहाबाद हाईकोर्ट में जजों के 56 पद, कर्नाटक हाईकोर्ट में 38 पद, कलकत्ता हाईकोर्ट में 39, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में 35, आंध्र व तेंलगाना हाईकोर्ट में 30 और बंबई हाईकोर्ट में जजों के 24 पद खाली हैं।’
जजों की कमी को देखते हुए उम्र बढ़ाने का अनुरोध...
ऐसे में उच्चतर अदालतों में जजों की कमी को देखते हुए एक संसदीय समिति ने सरकार ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों की रिटायरमेंट उम्र बढ़ाने का अनुरोध किया था। विधि एवं कार्मिक मामलों पर गठित संसद की स्थाई समिति ने अपनी सिफारिश में कहा था कि कोर्ट में पेंडिंग केस कम करने के लिए जजों के खाली पद को तत्काल भरा जाना चाहिए। इसने साथ ही कहा कि भविष्य में खाली होने सभी पद 1993 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय दिशानिर्देशों के आधार पर ही भरे जाएं। समिति ने इसके साथ ही मौजूदा जजों की उम्र सीमा बढ़ाने की सिफारिश करते हुए कहा है, ‘इससे मौजूदा जजों की सेवा विस्तार में मदद मिलेगा और जिससे जजों की कमी तुरंत दूर करने और पेंडिंग केसों को निपटाने में मददगार साबित होगा।’
साल 2010 में भी हुआ था प्रस्ताव...
इससे पहले वर्ष 2010 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने भी हाईकोर्ट के जजों की उम्र सीमा 62 से 65 साल करने का बिल पेश किया था, लेकिन वर्ष 2014 में 15वीं लोकसभा के भंग होने के कारण यह विधेयक निरस्त हो गया था।
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