नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के आध्यात्मिक गुरू भय्यूजी महाराज की सुसाइड पर लोगों ने सवाल खडऩे शुरू कर दिए हैं। उनकी मौत के बाद पुलिस को उनके कमरे से दो सुसाइड नोट मिले थे। पहले में जहां उन्होंने अपनी सुसाइड के पीछे पारिवारिक कलह बताया था। वहीं दूसरे सुसाइड नोट में उन्होंने अपनी सारी संपत्ति अपने सबसे करीबी सेवादार विनायक के नाम कर दी है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इसमें उन्होंने लिखा है, 'मैं अपने फाइनेंस, प्रॉपर्टी, बैंक अकाउंट,
साइनिंग ऑथोरिटीज़ के सारे अधिकार विनायक के नाम कर रहा हूं। मुझे विनायक
पर भरोसा है। इसलिए उन्हें ये सारी जिम्मेदारी देकर जा रहा हूं और ये मैं
बिना किसी दबाव के लिख रहा हूं।' इस सुसाइड नोट के तहत भैय्यू जी ने अपने
आश्रम, प्रॉपर्टी और वित्तीय शक्तियों की सारी जिम्मेदारी विनायक को दी है।
15 साल से भय्यू जी महाराज की सेवा कर रहे विनायक ने उनके बारे में मीडिया से बात करते हुए कहा है, ‘भय्यूजी बहुत सीधे और सरल आदमी थे। वो सबके प्रति समान भावना रखते थे। वो कहीं जाने के पहले ये नहीं देखते थे कि कौन कैसा है। वो आम लोगों के बीच रुकते थे। साथ ही खूब नुक्कड़ सभा करते थे।’
भय्यूजी महाराज द्वारा सारी संपत्ति और जिम्मेदारी उन्हें सौंपने पर विनायक का कहना है कि संस्थान की कमिटी, परिवार वालों के साथ मिलकर सारी जिम्मेदारी निभाएंगे। बता दें कि भय्यूजी महाराज ने अपने दूसरे सुसाइड लेटर में ये लिखा था कि वो बिना किसी दवाब के अपनी सारी जिम्मेदारी और संपत्ति विनायक के नाम कर रहे हैं। साल 1968 में भय्यूजी महाराज का जन्म शुजालपुर के एक किसान परिवार में हुआ था। उनका असली नाम उदयसिंह देखमुख था। पहले वो फैशन और मॉडलिंग की दुनिया से जुड़े थे लेकिन बाद में उन्होंने सबस छोड़ आध्यातम को अपनाया था। इंदौर में बापट चौराहे पर उनका आश्रम है जहां से वे अपने ट्रस्ट के सामाजिक कार्यों का संचालन करते थे।
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