नई दिल्ली। भारत के बासमती चावल निर्यात पर कोरोना महामारी के कहर का कोई असर नहीं पड़ा है, बल्कि पिछले साल से 40,000 टन ज्यादा बासमती चावल का निर्यात हुआ है। कोरोना काल में बासमती चावल के निर्यात मांग के साथ-साथ घरेलू मांग में भी इजाफा हुआ है जिससे मार्च के बाद बासमती चावल के दाम में करीब 10 फीसदी की तेजी रही है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद विकास प्राधिकरण (एपीडा) से मिली जानकारी के अनुसार भारत ने बीते वित्त वर्ष 2019-20 (अप्रैल-मार्च) में 44.54 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया है जबकि इससे पहले 2018-19 में बासमती चावल का निर्यात 44.14 लाख टन हुआ था।
एपीडा के तहत आने वाले बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन (बीईडीएफ) के निदेशक ए. के. गुप्ता ने आईएएनएस को बताया कि कोरोना काल में देश-विदेश में लॉजिस्टिक्स की समस्या बनी रही, इसके बावजूद बासमती के निर्यात पर कोई असर नहीं पड़ा बल्कि पिछले साल से कुछ ज्यादा ही निर्यात हुआ है।
उन्होंने कहा कि दरअसल, आपदा की घड़ी में लोग खाद्य पदार्थो की जरूरत ज्यादा महसूस करते हैं इसलिए इसकी मांग सामान्य स्थिति के मुकाबले आपदा की स्थिति में बढ़ जाती है।
बासमती चावल निर्यात में इजाफा होने से इसकी कीमतों में भी तेजी आई है।
ईरान, सऊदी अरब समेत ज्यादातर खाड़ी क्षेत्र में भारत के बासमती चावल को काफी पसंद किया जाता है और ये देश भारत के बासमती चावल के बड़े खरीदार हैं।
पंजाब बासमती राइस मिलर्स एसोसिएशन के प्रवक्ता आशीष कथूरिया ने आईएएनएस को बताया कि मार्च के बाद बासमती चावल के दाम में करीब 10 फीसदी की तेजी आई है। उन्होंने बताया कि मार्च में बासमती 1121 सेला का भाव 5100-5200 रुपये क्विंटल था वहां अब 5600 रुपये क्विंटल हो गया है। वहीं, बासमती 1121 स्टीम का भाव 6300 रुपये प्रतिक्विंटल से बढ़कर 7000 रुपये प्रतिक्विंटल हो गया है।
कथूरिया ने बताया कि बासमती चावल का निर्यात मूल्य 760 डॉलर प्रति टन(एफओबी) से बढ़कर 775-780 डॉलर प्रति टन हो गया है।
उन्होंने कहा कि बासमती चावल का अच्छा दाम मिलने से इसकी खेती में किसानों की दिलचस्पी बनी हुई है और पिछले साल के मुकाबले इस साल भी पंजाब में बासमती का रकबा 5.50 लाख हेक्टेयर रहने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि इसी प्रकार, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश व अन्य जगहों पर पिछले साल की तरह बना रह सकता है क्योंकि किसानों को धान का अच्छा दाम मिल जाता है।
(आईएएनएस)
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