यहां जारी एक आधिकारिक वक्तव्य के मुताबिक इसके साथ ही वित्त मंत्री ने
बैंकों से कहा कि वह कर्ज देने का काम पूरी ईमानदारी से करें और बैंकों में
पुन: जो भरोसा किया गया है उसे सही साबित करने के लिये धोखाधड़ी करने तथा
जान बूझकर कर्ज नहीं लौटाने वालों के खिलाफ कारगर कार्रवाई करें। ये भी पढ़ें - खौफ में गांव के लोग, भूले नहीं करते ये काम
बैंकों को
हर समय ऐसे संस्थान के रूप में दिखना चाहिये जो कि पूरी ईमानदारी और
सूझबूझ के साथ कर्ज का वितरण करते हैं।’ वित्त मंत्री की सार्वजनिक क्षेत्र
के बैंकों के साथ यह समीक्षा बैठक ऐसे समय हुई है जब ‘वैकल्पिक प्रणाली’
ने सार्वजनिक क्षेत्र के तीन बैंकों -बैंक आफ बड़ौदा, विजया बैंक और देना
बैंक के विलय का फैसला किया है।
यह निर्णय वैश्विक आकार के मजबूत और बड़े
बैंक बनाने की दृष्टि से किया गया है। बैंकों ने, जहां तक उनके फंसे कर्ज
की बात है, इसकी वसूली के लिए प्रयास तेज किए हैं। चालू वित्त वर्ष की पहली
तिमाही में बैंकों ने पुराने फंसे कर्ज में से 36,551 करोड़ रुपए की वसूली
की है। पिछले साल की इसी तिमाही में की गई वसूली के मुकाबले यह राशि 49
प्रतिशत अधिक है।
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