बांदा। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने रविवार को अपने भाई आनंद कुमार को पार्टी का उपाध्यक्ष और भतीजे आकाश आनंद को राष्ट्रीय समन्वयक नियुक्त कर भले ही नई राजनीतिक इबारत लिखने की सोची है, मगर इससे बसपा को फायदा कम और नुकसान ज्यादा होने की उम्मीद है। बसपा के कुछ पुराने नेताओं का कहना है कि मायावती के छोटे भाई आनंद कुमार और भतीजे आकाश आनंद का बहुजन समाज के लिए अब तक हुए आंदोलनों से दूर-दूर का कोई वास्ता नहीं रहा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
परिवार के सदस्यों को अचानक इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंप देने से दलितों के बीच मायावती की बची-खुची विश्वसनीयता भी दांव पर लग जाएगी। इन नेताओं का मानना है कि मायावती के इस कदम को बसपा से जुड़े नेता और स्वजातीय (जाटव) समर्थक भले ही मजबूरी में स्वीकार कर लें, लेकिन पिछड़ा वर्ग और गैर जाटव दलित इसे कतई स्वीकार नहीं कर सकता।
ऐसे में जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उनके लिए बेहतर विकल्प होगी, वहीं दलितों की मुखर आवाज बनकर उभर रहे भीम आर्मी के प्रमुख चन्द्रशेखर की दलितों और अल्पसंख्यकों में पकड़ और मजबूत होगी, साथ ही उसका राजनीतिक कद भी बढ़ सकता है।
बसपा से तिंदवारी विधायक और फतेहपुर से सांसद रहे (अब बसपा से उपेक्षित) महेंद्र प्रसाद निषाद कहते हैं, पार्टी संस्थापक दिवंगत कांशीराम के समय में कोई परिवारवाद नहीं था। उन्होंने बहुजन समाज के लिए अपना परिवार त्याग दिया था। उनके आंदोलनों में अल्पसंख्यक, गैर जाटव और पिछड़े वर्ग के लोगों को खूब तरजीह दी जाती रही है, लेकिन मायाकाल में सभी को नेपथ्य में धकेल दिया गया।
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