मुंबई। महाराष्ट्र विधानमंडल में गुरुवार को मराठों को शिक्षा और नौकरी में 16 फीसदी आरक्षण देने का प्रस्ताव पास हो गया। सरकार के इस फैसले से मराठा समाज के लोगों में खुशी है। ऐसे में अब मुस्लिमों में भी आरक्षण की मांग उठने लग गई है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने मुस्लिमों के आरक्षण के लिए मुंबई हाईकोर्ट का रुख किया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
एएनआई के मुताबिक, एआईएमआईएम नेता इम्तियाज जलील ने कहा है कि हम सरकार के इस फैसले को चुनौती नहीं देंगे लेकिन हम नए तथ्यों के साथ कोर्ट जाएंगे और मुस्लिम आरक्षण के लिए मांग करेंगे। इससे पहले ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमिन (एआईएमआईएम) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने मुस्लिमों के लिए आरक्षण की मांग की थी।
उनका कहना था कि मुस्लिम भी आरक्षण के हकदार हैं क्योंकि वह पीढिय़ों से गरीबी में रहे हैं। हैदराबाद सांसद ने महाराष्ट्र विधानसभा में मराठा आरक्षण विधेयक पेश होने के कुछ समय बाद ही ट्वीट करते हुए लिखा कि सार्वजनकि शिक्षा और रोजगार में पिछड़े मुसलमानों को वंचित करना एक गंभीर अन्याय है।
मैं लगातार कहता रहा हूं कि मुस्लिमों में पिछड़ी जातियां हैं जो पीढिय़ों से गरीबी में रह रही हैं। आरक्षण के जरिए इस सिलसिला को तोड़ा जा सकता है। ऐसा नहीं है कि मराठाओं को आरक्षण मिलने के बाद सिर्फ मुस्लिम समुदाय के लोग ही अपने लिए आरक्षण की मांग कर रहे हैं बल्कि महाराष्ट्र में रह रहा राजपूत समाज भी अपने लिए इसी तरह आरक्षण की मांग कर रहा है। हालांकि उनका कहना है कि आरक्षण देने का आधार जातिगत नहीं बल्कि आर्थिक होना चाहिए।
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