उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी बहुत जल्दी
तिलमिला जाते हैं। उदाहरण के तौर पर दिल्ली और बिहार चुनावों को ही देखिए।
यहां मोदी ने विकास-विकास का नारा छोडकर, लुभावने वादों का पुलिंदा बांध
दिया। यह दिखाता है कि एक चुनावी हार से वह कितना घबरा जाते हैं। ये भी पढ़ें - वचन निभाने को लड़ते हुए दो बार दी थी इस वीर ने जान!
क्या आपको लगता है कि सत्ता में बने रहने के लिए आरएसएस ने मोदी और शाह
दोनों से समझौता किया है, इस पर शौरी ने कहा-नहीं, लेकिन आप ऎसा क्यों
सोचते हैं कि दोनों अलग हैं। मोदी-शाह हर दिन आरएसएस के मूल्यों को अपनों
की तरह बढावा देते हैं। इसी से जाहिर होता है कि वह सत्ता में है। आप देखिए
कि बडे संस्थानों में किन लोगों की नियुक्तियां की गई हैं। इंडियन काउंसिल
फॉर हिस्टॉरिकल रिसर्च का ही उदाहरण ले लीजिए।
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