धौलपुर (मुनेश धाकरे)। इसे बच्चों की बहादुरी कहा जाए या फिर स्वार्थ कि पानी में जिस स्थान पर जाने से रेस्क्यू टीम भी घबराती है, वहीं राजघाट के छोटे-छोटे बच्चे चंद सिक्कों की खातिर अपनी जान दांव पर लगा देते हैं। यहां कई हादसे भी हो चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद इन बच्चों का बेरोकटोक यहां आना-जाना लगा रहता है।
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मध्यप्रदेश के मुरैना जिले को जोडऩे वाली चंबल नदी पर बने पुल के नीचे राजघाट के बच्चे जान दांव पर लगाकर पानी में उतर जाते हैं। जिस जगह ये बच्चे पानी में उतरते हैं, वहां बड़ी संख्या में घडिय़ाल, मगरमच्छ सहित अन्य जलीय जीव हैं। इनके भय से रेस्क्यू टीम भी जाने से पानी में जाने से इनकार कर देती है। जब भी कोई घटना हुई है, तब टीम के गोताखोरों ने मगरमच्छों का हवाला देकर पानी में उतरने से मना कर दिया, लेकिन चंबल के बगल में ही स्थित राजघाट गांव के छोटे-छोटे बच्चे रोज सुबह 5 बजे ट्यूब चुंबक लेकर यहां पहुंच जाते हैं।
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