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लॉकडाउन के बीच, अभिभावकों की जेब पर भारी पड़ रही है स्कूल फीस

Amidst the lockdown, school fees are taking a toll on parents pockets - India News in Hindi

नई दिल्ली। कोरोना महामारी के बीच प्राईवेट स्कूलों की फीस कई अभिभावकों की जेब पर भारी पड़ रही है। इसके बावजूद दिल्ली के कई स्कूलों ने वार्षिक शुल्क वसूलने का आदेश निकाला है।

इससे अभिभावकों पर आर्थिक बोझ और अधिक बढ़ गया है। अभिभावक संगठनों के मुताबिक हालत यह कि अब कई लोगों को अपने बच्चों का नाम प्राइवेट स्कूल से कटवा कर सरकारी स्कूलों में दाखिला करवाना पड़ सकता है।

इस संकट पर अखिल भारतीय अभिभावक संघ के अध्यक्ष एडवोकेट अशोक अग्रवाल ने कहा, ''बढ़ती फीस का संकट के कारण कई अभिभावकों को अपने बच्चों का नाम प्राईवेट स्कूलों से कटवाकर उनका दाखिला सरकारी स्कूलों में करवाने के लिए मजबूर कर सकता है।''

अशोक अग्रवाल ने कहा, '' मैं इसके खिलाफ नहीं हूं लेकिन मेरी चिंता यह है कि अकेले छात्रों को इस संकट से गुजरना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि क्षमा करें, हम बाल-सुलभ-समाज का निर्माण करने में पूरी तरह विफल रहे हैं। ''

अखिल भारतीय अभिभावक संघ ने आईएएनएस को बताया कि स्कूल फीस का भुगतान करने में असमर्थता व्यक्त करने वाले दिल्ली और यूपी के अभिभावकों के लगातार फोन आ रहे हैं।

स्कूलों की बढ़ती फीस से परेशान एक अभिभावक ललिता शर्मा ने कहा, '' मेरी दो बेटियां दिल्ली के अलग-अलग स्कूलों में पढ़ती हैं। कोरोना महामारी के कारण मेरे पति के पास पिछले कई महीनों से कोई काम नहीं है। कोरोना से पहले लेडीस गारमेंट का छोटा मोटा काम करके मैं कुछ पैसे बचा लिया करती थी लेकिन पहले लॉकडाउन और फिर उसके बाद भी काम धंधा औसत से काफी कम रहा है। हालत यह है कि प्राईवेट स्कूलों में पढ़ने वाली दोनों बेटियों की फीस भरना अब एक बड़ी चुनौती बन गई है। ''

बकाया और वर्तमान शुल्क की मांग करने वाले स्कूलों के कारण कई अभिभावकों की स्थिति खराब होती जा रही है। अशोक अग्रवाल ने कहा,'' मैं वास्तव में यह कहने के अलावा कुछ भी टिप्पणी करने में असमर्थ हूं कि अकेले सरकारें ही असहाय माता-पिता की मदद कर सकती हैं। माता-पिता को सरकार पर दबाव बनाना चाहिए।''

गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 31 मई के अपने एक आदेश में दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी उन आदेशों को निरस्त कर दिया, जो कई स्कूलों को वार्षिक और विकास शुल्क लेने पर रोक लगाते हैं।

दिल्ली सरकार का कहना है कि दिल्ली हाईकोर्ट की एकल पीठ का फैसला गलत तथ्यों और कानून पर आधारित था। अदालत ने अपने निर्णय में दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय की शक्तियों को वार्षिक और विकास शुल्क लेने पर रोक लगाने की परिधि से बाहर बताया था।

दिल्ली सरकार ने हाई कोर्ट के समक्ष दोबारा से अपनी याचिका पेश की है । हालांकि हाईकोर्ट ने वार्षिक और विकास शुल्क लेने की अनुमति देने वाले एकल न्यायाधीश के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। इस मामले की सुनवाई 10 जुलाई को होगी।

अदालती आदेश के बाद अब प्राइवेट स्कूलों ने वार्षिक शुल्क की वसूली के लिए आदेश जारी करना शुरू कर दिया है। डीएवी स्कूल ने ऐसा ही एक निर्देश जारी किया है। इसमें दिल्ली हाईकोर्ट के मौजूदा फैसले का हवाला दिया गया है। अपने इस पत्र के माध्यम से स्कूल ने सभी अभिभावकों को किस्तों में वार्षिक शुल्क का भुगतान करने को कहा है। (आईएएनएस)

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Web Title-Amidst the lockdown, school fees are taking a toll on parents pockets
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